अंतरराष्ट्रीय मातृ दिवस: माँ है तो सबकुछ है !

आज अंतरराष्ट्रीय मातृ दिवस है। हर साल इसे मई माह के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। यह ऐसा  अवसर है जब दुनियाभर के लोग अपनी माताओं के प्रति आदर और प्रेम प्रकट करते हैं। जीवन और समाज में माँ की भूमिका के लिए अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हैं। माँ के प्रेम और त्याग का कभी कोई आंकलन नहीं किया जा सकता। माँ का प्रेम शांति है। माँ का प्यार ही सबकुछ है। जिसके पास सबकुछ है, परंतु माँ का प्रेम नहीं है, उसके पास सबकुछ होकर भी कुछ नहीं होने के बराबर है।दुनियाभर के दार्शनिकों, लेखकों, राजनेताओं, योद्धाओं, और चिंतकों ने हर दौर में माँ पर अपने-अपने विचार व्यक्त किए और बताया कि कैसे उनकी सफलता में माँ की महत्वपूर्ण भूमिका रही।इतिहास मे ऐसे कई उदाहरण हैं जिनमें मांओं बचपन में ही अपने बच्चों की दिशा तय कर दी थी।छत्रपति शिवाजी महाराज का उदाहरण हमारे सामने है। उनकी माँ जीजाबाई जब तीन माह की गर्भवती थीं , तब वह घुड़सवारी और तलवारबाजी का अभ्यास करती थीं। महाभारत और रामायण के योद्धाओं की गाथाएं सुनती थीं। यही कारण है कि शिवाजी में बचपन से ही वीरता के लक्षण दिखाई देने लगे थे।इस बात पर अलग-अलग विचार है कि मदर्स-डे या अंतराष्ट्रीय मातृ दिवस की शुरुआत किसने की। ऐसा माना जाता है कि अन्ना जारिस इसकी जनक हैं, जिसने 1914 में अमेरिका में मदर्स-डे की शुरआत की। तत्कालीन राष्ट्रपति वुडरेव विल्सन ने इसे हर साल मई माह के दूसरे रविवार को मनाए जाने का सुझाव दिया।माँ जीवन की पहली पाठशाला होती है जो हमें विश्वास और आत्म-विश्वास का पाठ पढ़ाती हैं। माँ जीवन की पहली सच्ची मित्र होती हैं और जीवनपर्यंत सच्ची मित्र होती हैं। अंग्रेजी लेखक चार्ल्स बेनेटो कहते हैं-- "जब आप अपनी माँ की ओर देखते हैं, तब आप दुनिया के सबसे पवित्र प्रेम की ओर देख रहे होते हैं। दरअसल, मातृ प्रेम से बढ़कर पवित्र, निर्मल और नि:स्वार्थ प्रेम  दुनिया में हो ही नहीं सकता।इस अंतराष्ट्रीय मातृ दिवस पर कुछ पल अपनी माँ के साथ बिताएं और उससे आशीर्वाद लें।  जाने-माने लेखक रुडयार्ड किपलिंग कहते हैं, 'ईश्वर सब जगह नहीं पहुंच सकता , इसलिए उसने माँ को बनाया।मातृ दिवस पर सभी को ढेर सारी शुभ कामनाएं!
 

- प्रभाकर पुरंदरे

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