राम मंदिर: भारत के सांस्कृतिक गौरव की पुनर्स्थापना

भोपाल (महामीडिया) भारत के इतिहास में श्रीराम जैसा विजेता कोई नहीं हुआ I वे अद्भुत सामरिक पराक्रम, व्यवहार, विनम्रता, त्याग, कुशलता के स्वामी थेl  प्रभु श्रीराम का पूरा जीवन सबके सामने हैं I उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। भगवान राम ने दुनिया को मर्यादा का पाठ पढ़ाया और जीवन में सफल होने का मंत्र दिया। यह मंत्र आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं। यानी भगवान श्री राम के जीवन से जुड़ी कुछ बातों को अपना आज भी हर कोई सफल हो सकता है। महाकवि तुलसीदास ने "रामचरित मानस" में जन-जन के आराध्य प्रभु श्रीराम की महिमा अपरम्पार बताई हैl श्रीराम आर्यवर्त के इतिहास के प्रथम पुरुष हैं, जिन्होंने संपूर्ण राष्ट्र को सर्व प्रथम उत्तर से लेकर दक्षिण तक जोडा थाl
5 अगस्त को अभिजीत मुहूर्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भूमिपूजन किए जाने के साथ ही भगवान राम के सबसे बड़े मंदिर का श्रीगणेश हो जाएगा। अयोध्या का राम मंदिर महज एक मंदिर नहीं, अपितु करोडो-करोडो भारतीयों की कालजयी आस्था और गौरव का प्रतीक हैl राम मन्दिर का निर्माण भारत के  सांस्कृतिक  गौरव की पुनर्स्थापना हैl
ब्रह्मा के मानसपुत्र महाराज मनु ने सृष्टि के प्रारंभ में जिस अयोध्या का निर्माण किया और अथर्ववेद में जिसे अष्ट चक्र-नव द्वारों वाली अत्यंत भव्य एवं देवताओं की पुरी कहकर प्रशंसित किया गया, वह अयोध्या नाम की गरिमा के सर्वथा अनुकूल भी थी। युगों-युगों तक अपराजेय रही अयोध्या का शाब्दिक अर्थ है, जहां युद्ध न हो या जिसे युद्ध से जीता न जा सके। वैसे, मनु की 64वीं पीढ़ी के भगवान राम के समय तो अयोध्या के वैभव और मानवीय आदर्श का शिखर प्रतिपादित हुआI महाभारत युद्ध के समय भी अयोध्या में सूर्यवंशियों का शासन था। उस समय अयोध्या के राजा वृहद्बल ने महाभारत के युद्ध में कौरवों की ओर से भाग लिया और अभिमन्यु के हाथों वीरगति को प्राप्त हुए। दो हजार वर्ष पूर्व महाराज विक्रमादित्य ने अयोध्या का नवनिर्माण कराते हुए जन्मभूमि पर भव्य राममंदिर का निर्माण कराया। 21 मार्च 1528 को बाबर के आदेश पर सेनापति मीर बाकी ने इसी राममंदिर को ध्वस्त किया और फिर यहां विवादित ढांचा खड़ा कर दिया। सनातन संस्कृति की अस्मिता को दागदार करने वाला यह ऐतिहासिक कलंक अब धुलने जा रहा हैI 
प्रभू श्री राम की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे सहनशील रहे। जीवन में अनेकानेक परेशानियों का सामना किया, लेकिन कभी भी धैर्य नहीं खोया। माता कैकेयी ने आज्ञा दी तो 14 साल के वन के लिए चल पड़े। एक राजा के पुत्र होते हुए भी जंगल की कठिनाइयों में जीवन गुजारना पड़ा, लेकिन माथे पर कभी शिकन नजर नहीं आई। श्रीराम धैर्यवान पुरुष थेl उन्होंने सिखाया कि धैर्य रखा जाए तो अच्छा समय भी जल्द लौट आता है। भगवान राम के जीवन की सीख आज के युवाओं के लिए बहुत काम की है। भगवान राम ने हमेशा रिश्तों को अहमियत दी। माता कैकेयी ने वनवास का आदेश दिया तो भी उनसे नाता नहीं तोड़ा।  मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने माता-पिता, राज-वैभव यहां तक कि पत्नी और बच्चों का भी त्याग किया जिससे राजधर्म, समाजधर्म और मानवधर्म में जन-जन की आस्था बनीl
 विश्व के अनेक देशों में प्रभु श्रीराम की प्रशंसा के विवरण मिलते हैंl श्रीलंका, मेडागास्कर, मलेशिया, कम्बोडिया, जावा, सुमात्राद्वीप और मेक्सिको आदि देशों में रामायणकालीन सभ्यता और संस्कृति के उदाहरण मिलते हैंl मलेशिया में रामकथा का प्रचार अभी तक जारी हैl  बताते हैं कि वहां मुस्लिम भी अपने नाम के साथ राम, लक्ष्मण और सीता जोड़ते हैंl थाईलैन्ड में पुराने राजवाडो में भरत की भांति राम की पादुकायें लेकर राज करने की परंपरा पाई जाती हैl केवल इतना ही नहीं यहां अजुधिया, लवपुरी और जनकपुर जैसे नाम वाले शहर भी हैl ये लोग रामकथा को रामकीर्ति कहते हैंl इधर, भारतीय भाषाओं के साहित्यों राम और रामकथा एक ऐसा उदात्त आख्यान है जिसके बगैर भारतीय संस्कृती की कल्पना नहीं की जा सकतीl
5 अगस्त के दिन अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन के साथ ही देश की सांस्कृतिक विरासत में एक नया अध्याय जुड़ गया हैl राम मन्दिर का निर्माण भारत के  सांस्कृतिक  गौरव की पुनर्स्थापना हैl

- प्रभाकर पुरंदरे

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