
कोरोना महामारी के कारण देश-दुनिया के कारोबार और लोगों की पर्सनल एवं प्रोफेशनल लाइफ में काफी बदलाव आए हैं। घर से काम करने प्रचलन बढ़ गया है। इस महामारी ने दुनियभर में 10 से 5 बजे की शिफ्ट में काम करने की परिभाषा ही बदल दी है। चूँकि वैश्विक स्तर पर आधुनिक डिजिटल नेटवर्क स्थापित हो चुके हैं, इसीलिए कई जानी-मानी कंपनियों जैसे -- फेसबुक, अल्फाबेट (गूगल), अमेजॉन, एप्पल, ट्विटर आदि ने अपने कर्मचारियों को महामारी खत्म होने तक घर से ही काम करने को कहा है। इनके अलावा कई कम्पनियां भी "वर्क फ्रॉम होम" कल्चर पर जोर दे रही हैं। यह सभी सेक्टर्स पर भले ही संभव ना हो, पर कई सेक्टर्स ने इसे लॉकडाउन के दौरान लागू कर दिया है। कई उद्योगपति और विशेषज्ञ इस पर अपनी अलग-अलग राय रख रहे हैं। लेकिन यह निस्चित है कि "वर्क फ्रॉम होम" कई सेक्टर्स के लिए फायदे का सौदा दिख रहा है। इससे कर्मचारियों में भी विश्वास एवं आत्मबल बढ़ा है। यह एक तरह से मानसिक स्वतंत्रता का भी आभास कराता है। लेकिन क्या हमेशा घर से काम करना सेहत के लिए ठीक होगा?कई विशेषज्ञों का मानना है कि घर से काम करने से कर्मचारियों में एक सकारात्मक वातावरण यानि "पॉजिटिव माइंड सेट' तैयार होता है, जो क्रियाशीलता और उत्पादकता के लिए जरूरी है। ऑफिस आने-जाने के समय के साथ-साथ ईंधन की भी बचत होती है। यह भी माना जा रहा है कि जैसे-जैसे "वर्क फ्रॉम होम" के सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे वैसे-वैसे इसकी आवश्यकता और अधिक बल लेगी। भविष्य में घर से कामकाज संबंधी लचीली पालिसी अपनाने की मांग भी जोर पकड़ेगी। इससे "होममेकर्स" यानि गृहणियों को काम के नए अवसर मिल सकेंगे।पिछले माह "गार्टनर" द्वारा किए गए सर्वे के मुताबिक 20 प्रतिशत सीएफओ "वर्क फ्रॉम होम" को स्थायी रूप से लागू करने का प्रयास कर रहे हैं। उनका मानना है कि इससे न केवल बिजली, ट्रैवल एक्सपेंस एवं बिल्डिंग कॉस्ट कम होगी, बल्कि कर्मचारियों की "ऑफिस पॉलिटिक्स", गुटबाजी, और बॉस की रोज-रोज की किचकिच से भी मेहनती कर्मचारियों को छुटकारा मिलेगा। केवल इतना ही नहीं 81 प्रतिशत सीएफओ ने तो यहां तक कह दिया कि वे भविष्य में "वर्क फ़्रॉम होम" को ध्यान में रखकर ही कर्मचारियों की भर्ती करेंगे। जबकि 71 प्रतिशत का मानना है कि इससे कारोबार की निरंतरता एवं उत्पादकता प्रभावित होगी।अधिकांश का मानना है कि कोरोना संक्रमणकाल की यह स्तिथि वर्चुअल ऑफिस की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। यही कारण है कि एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, अमेजन जैसी कंपनियां अपने कर्मचारियों से घर से ही काम करवा रही है।लेकिन माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला का मानना है कि हमेशा घर से काम करना कर्मचारियों की मानसिक सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है।नडेला का मानना है कि हमेशा के लिए घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) करने से कर्मचारियों की मानसिक और सामाजिक सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। अमेरिका के एक अखबार को दिए इंटरव्यू में नडेला ने कहा कि , " मौजूदा हालात में हम एक उलझन को सुलझाने के प्रयास में एक नई समस्या को को जन्म दे रहे हैं।" फिर लगातार घर से काम करने में प्रशासनिक समस्याएं भी हैं।मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। चार लोगों में बैठना-उठना, हंसना- बोलना उसका नैसर्गिक स्वभाव है। स्वस्थ शरीर एवं मानसिक विकास के लिए यह आवश्यक भी है। वास्तव में देखा जाए तो मौजूदा हालात में ऑफिस से दूर रहकर काम करने से हम उन तामाम सामाजिक पूंजी को गंवा रहे हैं जो हमने सामान्य स्तिथि में जमा की थी।
- प्रभाकर पुरंदरे