संस्कृत देश की आधिकारिक भाषा क्यों नहीं हो सकती- पूर्व चीफ जस्टिस शरद 

संस्कृत देश की आधिकारिक भाषा क्यों नहीं हो सकती- पूर्व चीफ जस्टिस शरद 

नई दिल्ली  [ महामीडिया]  सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने पूछा है कि संस्कृत देश की आधिकारिक भाषा क्यों नहीं हो सकती है। उन्होंने अखिल भारतीय छात्र सम्मेलन में कहा- मैं खुद से सवाल पूछता हूं कि संस्कृत देश की आधिकारिक भाषा क्यों नहीं हो सकती है, जैसा डॉ. भीमराव अंबेडकर भी चाहते थे।  डॉ. अंबेडकर ने संस्कृत को देश की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए पहल की थी। बोबडे ने कहा- संस्कृत को आधिकारिक भाषा बनाने का मतलब किसी धर्म को बढ़ावा देना नहीं होगा। 95 फीसदी संस्कृत का किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है बल्कि इसका संबंध तो फिलॉसफी, कानून, विज्ञान, साहित्य, फोनेटिक्स, आर्किटेक्चर और एस्ट्रोनॉमी से है। बोबडे ने संस्कृत को धर्मनिरपेक्ष इस्तेमाल के लिए सक्षम बताया। उन्होंने कहा कि संस्कृत को किसी धर्म से जोड़े बिना एक भाषा के तौर पर पढ़ाया जाना चाहिए, जैसे- प्रोफेशनल कोर्स में अंग्रेजी पढ़ाई जाती है। इसके लिए एक शब्दकोश तैयार करना होगा और भाषा को ऑफिशियल्स लैंग्वेज एक्ट में शामिल करना होगा

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