
जापानी वैज्ञानिकों को बेशकीमती नमूने हाथ लगे
भोपाल [महामीडिया]जापान के वैज्ञानिकों के हाथ रयूगू एस्ट्रॉयड से लाए गए बेशकीमती नमूने हाथ लगे हैं। इन वैज्ञानिकों को इस पल का इंतजार बीते छह वर्षों से था। अब जाकर वैज्ञानिकों को इसमें सफलता हाथ लगी है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इन नमूनों के हाथ लगने से ब्रह्मांड के अनसुलझे रहस्यों को हल करने के करीब पहुंच सकेंगे। इसके साथ ही पृथ्वी के निर्माण के बारे में भी उन्हें जानकारी हासिल हो सकेगी।आपको बता दें कि छह वर्ष पहले दिसंबर 2014 में जापान ने एस्ट्रॉयड रयूगू से नमूने लाने के लिए अंतरिक्ष यान हायाबूसा-2 लॉन्च किया गया था। लॉन्च के तीन वर्ष बाद 30 करोड़ किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद सितंबर 2018 में ये इस क्षुद्रग्रह रयूगू पर उतरा था। इस क्षुद्रग्रह को 162173 JU3 के नाम से भी जाना जाता है। जापान ने अपने इस अभियान का नाम फाल्कन पक्षी पर रखा था जिसको जापानी लैंग्वेज में हायाबुसा कहते हैं। इस एस्ट्रॉयड का पता पहली बार मई 1999 में लगा था। ये करीब एक किमी चौड़ा है। सितंबर 2015 में माइनर प्लानेट सेंटर ने इसका नामकरण किया और इसको रयूगू का नाम दिया था। इसका अर्थ है ड्रैगन पैलेस। ये एस्ट्रॉयड 16 माह में सूरज का चक्कर पूरा करता है। इस यान ने रयूगू से नमूने एकत्रित किए और वापस धरती की तरफ लौट गया। कुछ समय पहले इस यान से निकला कैप्सूल आस्ट्रेलिया के रेगिस्तान में जाकर गिरा। इसमें ही रयूगू से लाए गए बेशकीमती नमूने थे। जब इस कैप्सूल ने धरती के वायुमंडल में प्रवेश किया तो ये एक आग का गोला बन गया। इसके बाद ये कैप्सूल सफलतापूर्वक धरती पर आ गया। इस कैप्सूल में एक कंटेनर था। आस्ट्रेलिया के इस रेगिस्तान पहले से ही वैज्ञानिकों की टीम मौजूद थी। जापान की अंतरिक्ष एजंसी जापान स्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के वैज्ञानिकों ने जब इस कंटेनर को खोला तो वो इसमें मौजूद नमूनों को देखकर हैरान हो गए। इस कंटेनर में नमूने के रूप में रयूगे से लाई धूल थी। इन नमूनों से उत्साहित जापान की अंतरिक्ष एजंसी के वैज्ञानिक हीरोताका सवादा ने कहा कि वो इन नमूनों को पहली बार देखकर काफी हैरान हुए थे। ये नमूने उनकी सोच से कहीं अधिक थे और वो इन्हें देखकर काफी खुश हैं। उनके मुताबिक ये केवल एक क्षुद्रग्रह से लाई गई धूल मात्र ही नहीं थी बल्कि कई मिलीमीटर में मापे गए बहुत सारे नमूने थे।स्पेस एजेंसी के वैज्ञानिक इन नमूनों को देखकर इतना खुश हुए कि वो झूम उठे। वैज्ञानिकों का कहना है कि वो इन नमूनों से पृथ्वी की उत्पत्ति के साथ साथ जीवन के सुराग की भी गुत्थी को सुलझा सकेंगे। हालांकि वैज्ञानिकों ने ये नहीं बताया है कि इस कंटेनर के अंदर जो नमूने धरती पर आए वो उनका वजन कितना था। यूनिवर्सिटी ऑफ नागोया के प्रोफेसर सिइचिरो वतनबे का कहना है कि ये काफी अधिक नमूने हैं जिनमें कुछ ऑर्गेनिक पदार्थ भी हैं। उनके मुताबिक इससे ये समझने में भी मदद मिलेगी कि आखिर इस तरह के पदार्थ कैसे विकसित हुए। इसके बारे में इन नमूनों से काफी कुछ पता चल सकेगा। रयूगू एस्ट्रॉयड से लाए गए आधे नमूनों पर नासा शोध करेगी।आपको बता दें कि इस सफल मिशन के बाद भी हायाबूसा-2 का काम अभी खत्म नहीं हुआ है। अब हायाबूसा-2 अपनी दूसरी मंजलि की तरफ आगे बढ़ गया है। इसको अभी दो और क्षुद्रग्रह से भी इसी तरह से नमूने एकत्रित करने हैं। हायाबुसा-2 आकार में किसी फ्रिज की बराबर है जिसमें सोलर पैनल लगे हैं। इस ग्रह के नजदीक पहुंचने के बाद इस यान ने कुछ समय तक एस्टरॉयड से 20 किलोमीटर ऊपर रहकर उसका चक्कर लगाया और वहां पर उतरने से पहले उसकी सतह का नक्शा तैयार किया था। इसके बाद स्माल लैंडर मस्कट के जरिए क्षुद्रग्रह के एक क्रेटर में ब्लास्ट कर वहां से नमूने जमा किए गए।