प्रतिस्पर्धा संशोधन से बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों में हड़कंप 

प्रतिस्पर्धा संशोधन से बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों में हड़कंप 

भोपाल [ महामीडिया] प्रतिस्पर्धा संशोधन अधिनियम के तहत वैश्विक कारोबार पर जुर्माने की गणना के लिए हालिया प्रावधान उन सभी मामलों पर लागू होने की संभावना है, जिनकी जांच भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग कर रहा है। इनमें बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों के ऐसे मामले भी शामिल हो सकते हैं, जहां प्रतिस्पर्धा आयोग का अंतिम आदेश आना अभी बाकी है। मगर प्रतिस्पर्धा कानून विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल स्पष्ट नहीं है कि कानून नई शिकायतों पर ही लागू होगा या उन शिकायतों पर भी लागू होगा, जिनकी जांच चल रही है। अधिसूचना (जुर्माने की गणना के लिए वैश्विक कारोबार के संबंध में) मूल कानून की धारा 27 की व्याख्या है। यह उन आदेशों से संबंधित है जो प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा जारी किए जा सकते हैं। इससे कंपनियों की परेशानी बढ़ सकती है क्योंकि जिन मामलों में आदेश अब तक जारी नहीं किया गया है, उन पर जुर्माने की रकम वैश्विक कारोबार के 10 फीसदी तक हो सकती है। कंपनी मामलों के मंत्रालय की ओर से 5 मार्च को जारी अधिसूचना के मुताबिक प्रतिस्पर्धा आयोग किसी कंपनी के वैश्विक कारोबार पर जुर्माना लगा सकता है। जुर्माना केवल उस उत्पाद या सेवा तक सीमित नहीं रहेगा, जिसकी जांच चल रही है। राव एंड शास्त्री एसोसिएटस, साँची कॉम्प्लेक्स, भोपाल के मैनेजिंग पार्टनर का कहना है की "धारा 27 में किए गए हालिया संशोधन में सबस्टीट्यूटेड यानी प्रतिस्थापित शब्द का इस्तेमाल किया गया है। इसका मतलब साफ है कि वैश्विक कारोबार प्रावधान को पिछली तारीख से लागू किया जाएगा। अदालतों ने इसके पक्ष और विपक्ष दोनों में विचार प्रस्तुत किए हैं। अगर सरकार का इरादा प्रतिस्थापित करने का है तो यह उन मामलों पर भी लागू होगा जिनकी जांच चल रही है। ऐसे में किसी भी नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए स्पष्टीकरण बेहद जरूरी है। दिशानिर्देशों में कहा गया है कि उल्लंघन की प्रकृति और गंभीरता के हिसाब से औसत प्रासंगिक कारोबार के 30 फीसदी तक जुर्माना लगाया जाएगा। मगर जुर्माने की इस रकम को अधिकतम वैध सीमा तक बढ़ाया या घटाया जा सकेगा । नए कानून के अनुसार अधिकतम सीमा विभिन्न कारकों के आधार पर कंपनी के वैश्विक कारोबार के 10 फीसदी तक हो सकती है। उदाहरण के लिए देखा जाएगा कि उल्लंघन करने में कंपनी की क्या भूमिका रही और कितने समय तक उल्लंघन हुआ।"

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