शनिवार रात भोपाल में कई जगह बिजली गिरी

शनिवार रात भोपाल में कई जगह बिजली गिरी

भोपाल  [ महामीडिया] भोपाल में शनिवार रात 40 किलोमीटर के दायरे में 12.50 से 1.50 बजे की बीच कई जगह बिजली गिरी। तेज हवा भी चलती रही। इससे बिजली गुल हो गई। आसमान से आफत के रूप में गिरने वाली बिजली के कारण इस मानसून में 36 दिन में MP में 90 लोग जान गंवा चुके हैं। सबसे ज्यादा छतरपुर में 9 और छिंदवाड़ा में 6 लोगों की मौत हुई है। बीते 50 साल की बात करें, तो पिछले तीन साल से मौत का यह आंकड़ा सबसे ज्यादा रफ्तार से बढ़ रहा है।गत वर्ष पूरे सीजन में 116 लोगों की मौत हुई थी। यह बीते 50 साल में सबसे ज्यादा थी। इस साल अभी तक ही करीब 90 लोगों की जान आकाशीय बिजली ले चुकी है। जलवायु परिवर्तन के कारण इस तरह की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। सामान्य रूप से बादल जमीन से एक किलोमीटर की ऊंचाई पर बनना शुरू होते हैं। गर्मी बढ़ने से इनकी मोटाई 3 किलोमीटर तक हो जाती है। बादल बनने की प्रक्रिया में बादलों की मोटाई 6 किलोमीटर तक हो जाती है। इन बादलों में जैसे-जैसे जलवाष्प ऊपर जाता है। वैसे-वैसे गिरते हुए तापमान की वजह से पानी की छोटी-छोटी बूंदें बड़ी बूंदों में बदलने लगती है। धीरे-धीरे तापमान शून्य हो जाता है। यहां से पानी की बूंदें बारीक बर्फ में बदलने लगती हैं। नीचे से गर्म हवाओं के आसमान की ओर उठने और ऊपर से ठंडी हवा के जमीन की तरफ आने से इनमें घर्षण होने लगता है। इससे बिजली पैदा होती है।प्रदेश भर में सबसे ज्यादा मौतें छतरपुर में 9 हुईं। इसके बाद छिंदवाड़ा में 6 और बालाघाट में 5, रीवा में 4 लोगों की जान बिजली गिरने से हुई। अधिकांश इलाकों में बिजली गिरने से पहले अधिकतम तापमान 38 डिग्री से 45 डिग्री के बीच रहा। इससे ज्यादा हीट बनने से तेजी से गर्म हवा ऊपर उठी। इससे बादलों की मोटाई 6 किलोमीटर तक होने से इन इलाकों में बिजली गिरने की घटनाएं ज्यादा हुईं।
 

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