
भारतीय पर्यटकों को लुभा रहे हैं दक्षिण-पूर्व एशियाई देश
भोपाल [महामीडिया] दक्षिण-पूर्व एशियाई देश अब भारतीय पर्यटकों को लुभाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं। दरअसल चीन से आने वाले पर्यटकों की संख्या में गिरावट और एक ही देश पर अत्यधिक निर्भरता को कम करने की जरूरत के चलते ये देश अब भारत को बड़ा बाजार मानकर अपनी रणनीति बदल रहे हैं। थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, वियतनाम, इंडोनेशिया और म्यांमार जैसे देशों ने वीजा नियम आसान करने, प्रमोशनल कैंपेन चलाने और भारतीयों के लिए खास ट्रैवल पैकेज लॉन्च करने जैसे कई कदम उठाए हैं। मार्च 2025 तक की तय की गई उड़ानों के आंकड़े बताते हैं कि भारत और इन छह देशों के बीच सीटों की कुल उपलब्धता में 15.6 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। साल 2025 में इन देशों और भारत के बीच कुल 10.8 मिलियन सीटें उपलब्ध होंगी, जो 2024 में मौजूद 9.35 मिलियन सीटों की तुलना में बड़ी छलांग है। यह आंकड़ा न केवल एक नया रिकॉर्ड है, बल्कि यह कोविड-19 से पहले यानी 2019 की तुलना में भी 29 फीसदी अधिक है।थाईलैंड, सिंगापुर और मलेशिया जैसे देश अब भी हवाई यात्रा की सीट क्षमता के लिहाज से भारतीय यात्रियों की शीर्ष पसंद बने हुए हैं लेकिन वियतनाम ने हाल के वर्षों में जबरदस्त बढ़त दर्ज की है। साल 2024 में भारत से वियतनाम जाने वाले यात्रियों की संख्या 2019 की तुलना में करीब तीन गुना हो गई है।इसके साथ ही 2025 में भारत-वियतनाम के बीच उड़ानों की निर्धारित सीट क्षमता 20% बढ़कर 9 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है। यह इजाफा पिछले साल हुए संशोधित द्विपक्षीय समझौते के चलते संभव हुआ है जिसमें दोनों देशों के बीच साप्ताहिक उड़ानों की संख्या 28 से बढ़ाकर 42 की गई थी।वियतनाम की एयरलाइंस जैसे वियतनाम एयरलाइंस और वियतजेट ने इस मौके का तेजी से लाभ उठाया है और भारत-वियतनाम रूट पर अच्छी खासी हिस्सेदारी हासिल कर ली है।2019 तक वियतनाम के लिए भारत एक प्रमुख स्रोत देश नहीं था, लेकिन 2024 में भारत वियतनाम का छठा सबसे बड़ा सोर्स मार्केट बन गया है। वियतनाम अब उन भारतीय यात्रियों के लिए ट्रांजिट हब बनने की भी तैयारी कर रहा है जो चीन की ओर उड़ान भरना चाहते हैं क्योंकि भारत से चीन के लिए सीधी हवाई सेवाएं अब भी सीमित हैं।