कॉलेजियम की सिफारिशों को रोकना लोकतंत्र के लिए खतरा  - पूर्व जज नरीमन 

कॉलेजियम की सिफारिशों को रोकना लोकतंत्र के लिए खतरा  - पूर्व जज नरीमन 

भोपाल [ महामीडिया] सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम सिस्टम पर केंद्र के बढ़ते हमलों के बीच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रोहिंटन फली नरीमन ने कानून मंत्री किरेन रिजिजू पर निशाना साधा है। शुक्रवार को एक कार्यक्रम में उन्होंने कॉलेजियम की ओर से सिफारिश किए गए नामों को रोकना लोकतंत्र के लिए घातक बताया। साथ ही कानून मंत्री को याद दिलाया कि अदालत के फैसले को स्वीकार करना उनका कर्तव्य है।वे मुंबई यूनिवर्सिटी के कानून विभाग की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में लेक्चर दे रहे थे। पूर्व जज ने कहा कि हमने इस प्रक्रिया के खिलाफ आज के कानून मंत्री की ओर से एक निंदा सुनी है। मैं कानून मंत्री को आश्वस्त करता हूं कि दो मूलभूत सिद्धांत हैं, जिनके बारे में उन्हें जानना चाहिए।एक मौलिक बात यह है कि अमेरिका के विपरीत, कम से कम 5 अनिर्वाचित जजों पर संविधान के अनुच्छेद 145(3) की व्याख्या पर भरोसा है और एक बार उन पांच या ज्यादा ने संविधान की व्याख्या कर ली, तो यह अनुच्छेद 144 के तहत एक प्राधिकरण के रूप में आपका कर्तव्य है। एक नागरिक के रूप में, मैं इसकी आलोचना कर सकता हूं, कोई बात नहीं। लेकिन यह कभी मत भूलें कि आप एक अथॉरिटी हैं और एक प्राधिकरण के रूप में आप सही या गलत के फैसले से बंधे हैं। पूर्व जज खुद अगस्त 2021 में सेवानिवृत्त होने से पहले कॉलेजियम का हिस्सा थेउन्होंने सुझाव दिया है कि कॉलेजियम की ओर से किसी जज के नाम की सिफारिश के बाद सरकार को 30 दिनों के अंदर जवाब देना चाहिए। अगर तय समय सीमा के अंदर सरकार कोई जवाब नहीं देती है तो यह मान लिया जाए कि सरकार के पास कहने के लिए कुछ नहीं है। संविधान इसी तरह काम करता है।उन्होंने कहा- कॉलेजियम की ओर से सिफारिश किए गए नामों को रोकना डेडली फॉर डेमोक्रेसी यानी लोकतंत्र के खिलाफ घातक है। साथ ही कहा कि स्वतंत्र और निडर जजों के बिना हम नए अंधेरे युग की खाई में प्रवेश करेंगे। यदि आपके पास स्वतंत्र और निडर जज नहीं हैं, तो कुछ नहीं बचा है।

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