कृत्रिम बुद्धिमत्ता के दौर में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण- आरएसएस सुप्रीमो भागवत

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के दौर में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण- आरएसएस सुप्रीमो भागवत

नागपुर [ महामीडिया] राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि "भारत के ब्रिटिश शासकों ने यह संदेश फैलाने के लिए देश के इतिहास को विकृत किया कि स्थानीय आबादी खुद पर शासन करने के लिए अयोग्य है।" भागवत ने कहा कि 1857 में, भारत के ब्रिटिश शासकों को एहसास हुआ कि जातियों, संप्रदायों, भाषाओं, भौगोलिक असमानताओं और भारतीयों के आपस में लड़ने के बावजूद तब तक एकजुट रहेंगे जब तक कि वो विदेशी आक्रमणकारियों को देश से बाहर नहीं निकाल देते। वह नागपुर में सोमलवार एजुकेशन सोसाइटी के 70वें स्थापना दिवस के अवसर पर 21वीं सदी में शिक्षकों की भूमिका पर एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मोहन भागवत ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के दौर में शिक्षकों की भूमिका को रेखांकित किया उन्होंने कहा कि 21वीं सदी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का युग है। इसके बावजूद शिक्षकों की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी वर्तमान पीढ़ी को व्यापक ज्ञान से परिचित कराती है लेकिन शिक्षकों में जीवन बदलने की शक्ति होती है। 

 

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