चिरंजीव हेरम्ब एवं श्रीरंग का यज्ञोपवीत संपन्न

चिरंजीव हेरम्ब एवं श्रीरंग का यज्ञोपवीत संपन्न

भोपाल [ महामीडिया]  महर्षि विश्व शांति आंदोलन के बैनर तले बटुकों का व्रतबंध ब्रह्मचारी डॉ. गिरीश जी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। आचार्य डॉ. निलिम्प त्रिपाठी के चिरंजीवी  हेरम्ब त्रिपाठी एवं कक्षा बारहवीं के छात्र श्रीरंग त्रिपाठी का यज्ञोपवीत संस्कार भी संपन्न हुआ। वातानुकूलित सभाकक्ष में पूजन एवं अनुष्ठान संपन्न हुआ एवं शताधिक लोगों ने यज्ञ में सहभागिता कर भोजन प्रसाद प्राप्त किया। व्रतबंध अर्थात् दूसरा जन्म ! पहले माता के गर्भ से और दूसरा यज्ञोपवीत से माना गया है। उपनयन का अर्थ है ज्ञान के नेत्रों का प्राप्त होना, यज्ञोपवीत संस्कार होने से यज्ञ-हवन करने का अधिकार प्राप्त हो जाता होना। जनेऊ धारण करने से पूर्व जन्मों के बुरे कर्म स्वतः नष्ट हो जाते हैं तथा  आयु, बल और बुद्धि में वृद्धि होती है। जनेऊ धारण करने से शुद्ध चरित्र और जप, तप, व्रत की प्रेरणा मिलती है। इससे नैतिकता एवं मानवीयता का  विस्तार होता है। जनेऊ के तीन धागे माता-पिता की सेवा और गुरु भक्ति का कर्तव्य बोध कराते हैं। जनेऊ के तीन धागों  में 9 लड़ होती है, फलस्वरूप जनेऊ पहनने से 9 ग्रह प्रसन्न रहते हैं। शास्त्रों के अनुसार ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य बालकों को अपनी मेधा को जागृत करने के लिए अवश्य यह संस्कार करना चाहिए। इसमें गायत्री की दीक्षा दी जाती है। इसके द्वारा किए गए यज्ञ सफल होते हैं। दान लेने और दान देने का अधिकार प्राप्त होता है। यज्ञकर सकने की पात्रता आती है।
इस अवसर पर  व्ही.आर.खरे, श्रीमती आर्या नंदकुमार, श्रीमती ममता भट्टाचार्य आदि अनेक महानुभाव उपस्थित थे एवं बटुकों को अनेक उपहार देकर सनातन धर्म के प्रति प्रेरित किया। कार्यक्रम महर्षि विद्या मंदिर रतनपुर के महर्षि मंगलम भवन में संपन्न हुआ।

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