प्रधान न्यायाधीश गवई ने संविधान को एक परिवर्तनकारी शक्ति बताया

प्रधान न्यायाधीश गवई ने संविधान को एक परिवर्तनकारी शक्ति बताया

भोपाल [महामीडिया] भारतीय प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई ने संविधान को "स्याही में अंकित एक मौन क्रांति" और एक परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में वर्णित किया है जो न केवल अधिकारों की गारंटी देती है बल्कि ऐतिहासिक रूप से  ऊंचा उठाती है। ऑक्सफोर्ड यूनियन में मंगलवार को बोलते हुए गवई ने  संविधान के हाशिये पर मौजूद समुदायों पर सकारात्मक प्रभाव को उजागर किया और अपने उदाहरण से इस बिंदु को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान केवल एक कानूनी ढांचा नहीं था, बल्कि गहन असमानता के बीच तैयार किया गया एक सामाजिक और नैतिक दस्तावेज था।

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