भावनात्मक सशक्तिकरण समय की जरुरत - शिवानी दीदी 

भावनात्मक सशक्तिकरण समय की जरुरत - शिवानी दीदी 

ग्वालियर[ महामीडिया] हमारी सोच यह रहती है कि दूसरे क्या करते हैं वही करेंगे, जो अलग है। जबकि हमें वही करना है जो सही है। दूसरे क्या कर रहे हैं, उसकी चिंता नहीं करनी है। व्यक्ति को एप्रिशिएट कीजिए, फिर उसके काम को देखिए। अगर हम उसके काम में कमी निकालेंगे तो वह ठीक नहीं है।यह बात इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर आयोजित हुए बीइंग लाइट प्रोजेक्ट के तहत भावनात्मक सशक्तिकरण कार्यक्रम में इंटरनेशनल मोटिवेशनल स्पीकर बीके शिवानी दीदी ने कही। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर अटल बिहारी वाजपेयी इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में मंगलवार को बीइंग लाइट (भावनात्मक सशक्तिकरण) पर कार्यक्रम आयोजित हुआ। 

  • शिवानी दीदी ने कहा, ‘पहले सामने वाले इनसान के काम की सराहना कीजिए, फिर उसके काम में जो कमी है उसे दूर कराइए। ऐसा करने से तनाव दूर होगा। सुबह उठकर और सोने से पहले सभी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें।
  • उन्होंने आगे कहा, जो मदद कर रहे हैं, उनका भी और जो हमारे साथ बुरा कर रहे हैं, उनको भी धन्यवाद दें। फिर देखिए कि आपका दिन कितना बेहतर हो जाएगा। आप अंदर से खुद को प्रफुल्लित महसूस करेंगे।
  • शिवानी दीदी ने आगे कहा कि जीवन में सब कुछ परफेक्ट चल रहा है, फिर यह क्यों लगता है कि सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है, फिर खुशी क्यों नहीं महसूस हो रही? इसका कारण यह है कि सारा दिन ऐसे कर्म करिए कि दुआएं कमाते जाएं।
  • न्यायमूर्ति आनंद पाठक ने कहा कि जीवन में हम जितना हल्का रहेंगे, उतना ही अच्छा रहेगा। यदि आप अध्यात्म को नहीं समझेंगे तो खुशी और आनंद में गफलत कर देंगे। आदमी आनंद प्राप्त करना चाहता है, लेकिन हम खुशी की ओर मुड़ जाते हैं। जीवन में हमें कुछ चीजें याद रखना चाहिए और कुछ भूल भी जाना चाहिए।
  •  न्यायमूर्ति अहलूवालिया ने कहा कि भगवान की इच्छा के बगैर एक पत्ता भी नहीं हिल सकता, लेकिन तनाव लेते समय हम इस बात को भूल जाते हैं। जिंदगी में मैंने कभी तनाव नहीं लिया, इसके मुझे पॉजिटिव रिजल्ट देखने को मिले हैं।
  •  इस कार्यक्रम में  मुख्य अतिथि इंटरनेशनल मोटिवेशनल स्पीकर बीके शिवानी दीदी, विशिष्ट अतिथि प्रशासनिक न्यायाधीश न्यायमूर्ति आनंद पाठक व न्यायमूर्ति जी.एस अहलूवालिया सहित आईएमए अध्यक्ष डा. बृजेश सिंघल और सचिव डा. स्नेहलता दुबे मंचासीन थे।

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