कार्तिक मास में दीपदान का महत्व

कार्तिक मास में दीपदान का महत्व

भोपाल [ महामीडिया] दीप दान, स्नान-पूजन का 29 दिनी कार्तिक मास 18 अक्टूबर से 15 नवंबर तक रहेगा। इसमें हर ओर पंच पर्व धन तेरस, रूप चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज का उजास छाएगा।करवाचौथ, छठ पूजा और देव दीपावली से लेकर कार्तिक पूर्णिमा भी आएगी। देव उत्थान एकादशी पर चातुर्मास के समापन के साथ चार मास की योग निद्रा से भगवान श्रीहरि विष्णु जागेंगे और मांगलिक कार्यों का श्रीगणेश होगा। कार्तिक मास में दीपदान का अत्यधिक महत्व है।  इस मास में सूर्य, जो आकाश का सबसे बड़ा प्रकाश स्रोत है, अपनी नीच राशि तुला की ओर अग्रसर होता है। इससे जीवन में जड़ता और अंधकार की वृद्धि होती है।  इसलिए इस पूरे महीने दीपक का प्रकाश, जप, दान और स्नान का विशेष महत्व होता है।

दीपदान क्या है? दीपक का दान करना या दीप को जलाकर उसे उचित स्थान पर रखना दीपदान कहलाता है। किसी दीपक को जलाकर देव स्थान पर रखकर आना या उन्हें नदी में प्रवाहित करना दीपदान कहलाता है। यह प्रभु के समक्ष निवेदन प्रकाट करने का एक तरीका होता है

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