सद्कर्म कर पुण्य कमाना ही ध्येय हो : आचार्य बद्रीश महाराज

सद्कर्म कर पुण्य कमाना ही ध्येय हो : आचार्य बद्रीश महाराज

भोपाल [ महामीडिया] स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती आश्रम,छान में शारदीय नवरात्र महोत्सव के चतुर्थ दिवस आज अन्तर्राष्ट्रीय लब्धप्रतिष्ठित आचार्य बद्रीश जी महाराज ने श्रीमद् देवी भागवत कथा अमृत प्रवाह के विभिन्न प्रसंगों को सुना कर उपस्थित धर्मपरायण श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया ।
आज की कथा प्रारंभ करते हुए आचार्य बद्रीश जी महाराज ने बताया कि मां भगवती के साक्षात वाणी से श्रीमद् देवी भागवत कथा का संबल जगत के कल्याण के लिए है।  आचार्य जी का कहना था कि मत्स्यगंधा से एक योजन की दूरी तक मछली की दुर्गंध आती थी, किंतु मां जगत जननी की कृपा से एक योजन दूरी तक सुगंध आने लगी थी।                

महाराज जी ने बताया कि महाभारत में इन प्रसंगों का विस्तार से वर्णन किया गया है। यह सब कुछ दैवीय कृपा से ही संभव हो पाया ।                              

एक और घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए बद्रीश जी का कहना था कि एक बार सूर्यनारायण जी महाराज का कुंती द्वारा आव्हान किया गया। कुंती ने उन्हें सौर्य मंडल से बुलवाया। जब सूर्यनारायण भगवान ने उनसे उनकी इच्छा पूछीं तो उन्होंने कहा भगवान मुझे सिर्फ आपके दर्शन की इच्छा थी। तब प्रसन्न होकर सूर्यनारायण जी ने कुंती को पुत्र का आशीर्वाद दिया। कुंती ने जन्म के बाद उस बालक को एक नदी में प्रवाहित कर दिया।  जिसे बाद में एक शूद्र परिवार ने प्राप्त करके उसका लालन-पालन किया। यह सब दैवीय कृपा का ही चमत्कार है               आचार्य बद्रीश जी महाराज का कहना था कि महाराज परीक्षित ने पांडू वंश की धरोहर की रक्षा की थी। जिनको आत्मिक ज्ञान होता है,वह जीवन और मृत्यु को समान समझते हैं। वे ऐसे ही व्यक्ति थे। महाराज परीक्षित ने अपने शासनकाल में सदैव साधुओं, ऋषियों एवं ब्राह्मणों का सम्मान किया करते थे। किंतु एक बार उन्हें भी ऋषि पाप का आभास हुआ और वह शोक ग्रस्त हो गए।

इस कथा का सार बताते हुए आचार्य जी ने कहा कि" मृत्यु रूपी राजकुमार या राजकुमारी हर व्यक्ति का समय आने पर  वरण अवश्य करेगी। इसलिए जीवन में कभी घमंड नहीं करना चाहिए। मिट्टी की काया मिट्टी में मिल जाएगी। न तो साथ में सोना जाएगा और न ही चांदी जाएगी। यह मोक्ष का मार्ग है। कर्म करते हुए ग्रंथों और पुराणों का श्रवण करते हुए तैयारी करनी चाहिए। हमें अगले पल का पता नहीं है, कब किसी को साइलेंट अटैक आ जाए कोई कभी नहीं जानता। इसलिए हम सभी को सत मार्ग पर चलकर कर्म करते हुए संग्रहण की बजाय सामाजिक जीवन जीना चाहिए। हम सभी की मृत्यु एक दिन निश्चित है। इसलिए धर्म पूर्ण जीवन का संकल्प लेना चाहिए।          

आचार्य बद्रीश जी महाराज ने "न सोना काम आएगा न चांदी आएगी " को गाकर सुनाया  जिससे संपूर्ण महर्षि उत्सव भवन में तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजायमान हो गया । आचार्य श्री बद्रीश जी महाराज 10 अक्टूबर तक प्रतिदिन अपराह्न 3:00 से लेकर 6:00 तक श्रीमद् देवी भागवत कथा अमृत प्रवाह का वाचन अपने श्रीमुख से करेंगे।  

श्रीमद् देवी भागवत कथा का आयोजन महर्षि वेद विज्ञान विश्व विद्यापीठम एवं महर्षि संस्थान द्वारा प्रतिवर्ष की भांति संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है। इस संपूर्ण कार्यक्रम का लाइव प्रसारण रामराज टीवी, वेबसाइट, यूट्यूब एवं फेसबुक चैनलों पर भी किया जा रहा है। जो श्रद्धालु भौतिक रूप से उपस्थित रहकर श्रीमद् देवी भागवत कथा अमृत प्रवाह में हिस्सा नहीं ले सकते वह ऑनलाइन माध्यम से जुड़कर भी धार्मिक एवं आध्यात्मिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

सम्बंधित ख़बरें