आयोग ने स्टेट बैंक की याचिका को रद्द किया
भोपाल [ महामीडिया] राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने स्टेट बैंक की एक याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि बिल जारी होने के बाद ही बिजली शुल्क "पहला देय" हो जाता है, भले ही देयता उपभोग पर उत्पन्न होती है। अविवादित खपत के लिए अतिरिक्त मांग बढ़ाने से सेवा में कमी नहीं होती है। एसबीआई जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (बिजली कंपनी) द्वारा आपूर्ति की जाने वाली बिजली का उपभोक्ता है। बिजली कंपनी ने नोटिस जारी कर पिछली अवधि के बकाये के लिए 5,81,893 रुपये की मांग की है। ये शुल्क बार-बार बैंक के बिलों में परिलक्षित होते थे। शिकायतकर्ता ने एक पुनरीक्षण याचिका के साथ राष्ट्रीय आयोग का दरवाजा खटखटाया। राष्ट्रीय आयोग ने पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया और राज्य आयोग के आदेश को बरकरार रखा।