म.प्र. हाईकोर्ट ने परिवार नियोजन का लाभ देने का आदेश दिया

म.प्र. हाईकोर्ट ने परिवार नियोजन का लाभ देने का आदेश दिया

भोपाल [ महामीडिया] म.प्र. हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने कहा कि यदि कोई समाजसेवी व्यक्ति (चाहे वह सरकारी कर्मचारी हो या न हो) निःस्वार्थ भाव से परिवार नियोजन के लिए नसबंदी करवाता है, तो ऐसे व्यक्ति को बाद में परिवार नियोजन अपनाने वाले सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली अग्रिम वेतन वृद्धि की सरकारी योजना के तहत किसी भी लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता।ऐसा करते हुए न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ऐसा व्यक्ति भी लाभ का हकदार है भले ही उसने सरकारी सेवा में आने से पहले ऐसे कार्य में योगदान दिया हो। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने कहा “यदि कोई जनहितैषी व्यक्ति, चाहे वह सरकारी कर्मचारी हो या न हो, निःस्वार्थ भाव से परिवार नियोजन के लिए अपना ऑपरेशन करवाता है तो ऐसे व्यक्ति को उक्त परिपत्र के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता, जिसमें परिवार नियोजन अपनाने वाले सरकारी कर्मचारियों को अग्रिम वेतन वृद्धि का प्रावधान है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सरकार का अंतिम उद्देश्य केवल परिवार नियोजन का सहारा लेकर जन्म दर और जनसंख्या विस्फोट को नियंत्रित करना है, और यदि कोई व्यक्ति सरकारी सेवा में न रहते हुए भी इसी उद्देश्य में योगदान देता है और बाद में उसी में शामिल होता है तो वह सेवानिवृत्ति खंड में सरकार की मदद करने के अपने परोपकारी कार्य के लाभ का भी हकदार है।”

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