तीज-त्यौहारः मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त और पौराणिक महत्व

तीज-त्यौहारः मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त और पौराणिक महत्व

भोपाल (महामीडिया) मकर संक्रांति के त्यौहार का हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व है. देश के अलग अलग हिस्सों में धूमधाम के साथ इस त्यौहार को मनाया जाता है. मान्यता के अनुसार ये पर्व अलग-अलग शहरों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन किए गए दान का फल बाकी दिनों के मुकाबले कई गुना ज्यादा होता है. यही कारण है कि इस दिन दान करने का विशेष महत्व होता है.
कहते हैं कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलते हैं. शुक्र का उदय भी मकर संक्रांति पर ही होता है. यही कारण है कि खरमास के बाद मकर संक्रांति से सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. भगवान सूर्य के पूजन का सबसे बड़ा पर्व मकर संक्रांति है. इसी दिन से शरद ऋतु क्षीण होने लगती है और बसंत का आगमन हो जाता है. 
मकर संक्रांति मुहूर्त 
14 जनवरी पुण्य काल मुहूर्त : 2 बजकर 12 मिनट से शाम 5 बजकर 45 मिनट तक, महापुण्य काल मुहूर्त : 2 बजकर 12 मिनट से 2 बजकर 36 मिनट तक (अवधि कुल 24 मिनट)
दान करना शुभ
मकर संक्राति के पर्व पर गंगा स्नान, व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्यदेव की उपासना करने फलदायी महत्व होता है. कहते हैं कि सूर्य देव की पूजा के बाद इस दिन किया गया दान अक्षय फलदायी होता है. इस दिन तिल के बनी चीजों का दान अवश्य करना चाहिए. इतना ही नहीं 14 चीजों को दान करने का भी खास महत्व होता है.
इसके अलावा पंजाब, यूपी, बिहार और तमिलनाडु में ये नई फसल काटने का समय होता है. इसलिए किसान इस दिन को आभार दिवस के रूप में भी मनाते हैं. इस दिन तिल और गुड़ की बनी मिठाई बांटी जाती है. इसके अलावा मकर संक्रांति पर कहीं-कहीं पतंग उड़ाने की भी परंपरा है.
मकर संक्रांति का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं. क्योंकि ऐसे तो  शनि मकर व कुंभ राशि के स्वामी हैं. यही कारण है इस पर्व को पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है. ये भी माना जाता है कि इसी दिन असुरों पर भगवान विष्णु की विजय की थी. मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था. जिसके बाद से इस त्योहार को मनाया जाता है.
 

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