जामनगर दुनिया का रिफाइनिंग केंद्र बना

जामनगर दुनिया का रिफाइनिंग केंद्र बना

भोपाल [ महामीडिया] जामनगर रिफाइनरी ने अपने 25 साल पूरे किए हैं। रिलायंस ने गुजरात के जामनगर में 25 साल पहले, 28 दिसंबर, 1999 को अपनी पहली रिफाइनरी शुरू की थी। इस रिफाइनरी ने रातों-रात भारत को ईंधन की कमी वाले देश से आत्मनिर्भर और बाद में अधिशेष वाले देश में बदल दिया जिससे यूरोप और अमेरिका को गैसोलीन और गैसोइल का निर्यात किया जाने लगा। आज जामनगर दुनिया का रिफाइनिंग केंद्र बन गया है। इसे इंजीनियरिंग चमत्कार कहा जाता है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि 2.7 करोड़ टन प्रति वर्ष (560,000 बैरल प्रति दिन) क्षमता वाली इकाई का निर्माण एशिया में समकालीन रिफाइनरियों की तुलना में लगभग 40 प्रतिशत कम लागत (प्रति टन) पर किया गया था। बाद में इस इकाई का विस्तार करके इसे 3.3 करोड़ टन कर दिया गया।भारत की पहली निजी क्षेत्र की रिफाइनरी ने अकेले ही भारत की कुल रिफाइनिंग क्षमता में 25 प्रतिशत की वृद्धि की और भारत को परिवहन ईंधन में आत्मनिर्भर बनाया। इस परियोजना ने बंजर क्षेत्र को पूरी तरह से एक हलचल भरे औद्योगिक केंद्र में बदल दिया। जामनगर रिफाइनरी में दुनिया के सबसे बड़े पैराक्सीलीन कॉम्प्लेक्स को सफलतापूर्वक संचालित किया है, साथ ही जामनगर में दुनिया के सबसे बड़े रिफाइनरी ऑफ-गैस क्रैकर  कॉम्प्लेक्स का डिज़ाइन भी सफलतापूर्वक चालू किया है। इस तरह RIL भारत का सबसे बड़ा एकीकृत पेट्रोकेमिकल उत्पादक है वहीं दुनिया का सबसे बड़ा एकीकृत पॉलिएस्टर उत्पादक हैं। इसी तरह ये दुनिया के शीर्ष पाँच उत्पादकों में से हैं और Paraxylene (PX) उत्पादन में वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर हैं।

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