बंधुआ मजदूरी निवारण हेतु जिला प्रशासन का संवेदीकरण जरुरी

बंधुआ मजदूरी निवारण हेतु जिला प्रशासन का संवेदीकरण जरुरी

भोपाल [ महामीडिया] राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने देश में बंधुआ मजदूरी के उन्मूलन में आने वाली बाधाओं और उनके बचाव, राहत और पुनर्वास में आने वाली कमियों पर चर्चा करने के लिए कोर ग्रुप की एक बैठक का आयोजन किया । बैठक की अध्यक्षता एनएचआरसी की कार्यवाहक अध्यक्ष श्रीमती विजया भारती सयानी ने की, जिसमें महासचिव भरत लाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारी, विशेषज्ञ और मानव अधिकार संरक्षक मौजूद थे। श्रीमती विजया भारती सयानी ने कहा कि प्रयासों और कानूनी प्रावधानों के बावजूद, कई लोग अभी भी जबरन मजदूरी और ऋण बंधन में फंसे हुए हैं। एनएचआरसी ने बंधुआ मजदूरों की पहचान, रिहाई और पुनर्वास के लिए परामर्शी जारी करने सहित महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। हालांकि, विभिन्न उद्योगों में बंधुआ मजदूरी का बने रहना यह दर्शाता है कि अभी और बहुत कुछ करने की जरूरत है। बंधुआ मजदूरी के कई नाम हैं जो गैर-कृषि क्षेत्रों तक फैले हुए हैं जिनमें देवदासी प्रथा और लघु उद्योग शामिल हैं। महासचिव भरत लाल ने बंधुआ मजदूरी की समस्या को खत्म करने के लिए ठोस सुझावों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत में अभी भी ऐसे मूल्य प्रणालियां हैं जो इस मुद्दे से निपटने के लिए नैतिक प्रेरणा प्रदान करती हैं। इसलिए, कानूनी प्रावधानों के कार्यान्वयन को लागू करते समय, भारत में बंधुआ मजदूरी को कम करने के लिए साथी मनुष्यों के अधिकारों और सम्मान की रक्षा करने वाली मूल्य प्रणालियों के बारे में सामाजिक जागरूकता का प्रसार किया जाना चाहिए। आयोग ने एक बहुराष्ट्रीय कंपनी द्वारा अपने कर्मचारियों से लगातार 10 घंटे तक काम करवाने के समाचार पर स्वतः संज्ञान लिया था। डिलीवरी सेवा प्रदान करने वाली कंपनियां आज भी, कभी-कभी, 15 मिनट की डिलीवरी और इसी तरह की सेवाओं को सुनिश्चित करते हुए, अपने कार्यकारियों के जीवन को जोखिम में डालती हैं, जिससे पूरी पीढ़ी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। घरेलू कामगार भी इसी दायरे में आते हैं। सचिव देवेन्द्र कुमार ने कोर ग्रुप की बैठक का संक्षिप्त विवरण देते हुए कहा कि संकटग्रस्त प्रवासी परिवारों के कई बच्चे कपड़ा, पटाखा निर्माण, ईंट भट्टों और ग्रेनाइट निष्कर्षण इकाइयों जैसे क्षेत्रों में बंधुआ मजदूर बन जाते हैं। हाशिए पर रहे समुदायों, खासकर अनुसूचित जातियों और जनजातियों की महिलाओं और बच्चों को अक्सर कृषि और कपड़ा उद्योग में बंधुआ मजदूरी के लिए निशाना बनाया जाता है।बचाए गए बंधुआ मजदूरों को धमकियों का सामना करना पड़ता है और प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने में देरी होती है, जिससे न्याय पाने का उनका रास्ता जटिल हो जाता है।

ठक के दौरान सामने आये कुछ सुझाव इस प्रकार थे:

• ऐसे अनौपचारिक श्रमिकों के पंजीकरण के लिए एक पोर्टल बनाएं जो अपने राज्यों के बाहर नौकरी पाने के लिए खुद को पंजीकृत कर सकते हैं;

• राज्यों के बीच प्रवास करने वाले बंधुआ मजदूरों पर नज़र रखने के लिए एक अंतर-राज्यीय सेल की स्थापना करें;

• श्रम अनुबंध तंत्र को औपचारिक बनाएं;

• बंधुआ मजदूरी को शामिल करके मानव दुर्व्यापार को परिभाषित करें;

• बंधुआ मजदूरी के निवारण हेतु पुलिस कर्मियों और जिला प्रशासन का संवेदीकरण करना आवश्यक है;

• बंधुआ मजदूरों के बचाव, राहत और पुनर्वास के बीच समय-अंतराल को कम करना;

• नालसा को बंधुआ मजदूरी के पीड़ितों को कानूनी सहायता प्रदान करनी चाहिए;

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