
भारत में ग्रीन सर्टिफाइड ऑफिस स्पेस की मांग बढ़ी
भोपाल [महामीडिया] भारत में ग्रीन सर्टिफाइड ऑफिस स्पेस की मांग बढ़ रही है। जिससे अब इन ऑफिस की हिस्सेदारी भी तेजी से बढ़ रही है। ग्रीन सर्टिफाइड ऑफिस की सबसे अधिक हिस्सेदारी चेन्नई में बढ़ी है। इसके बाद दूसरा नंबर एनसीआर के मार्केट का है। भारत के 7 प्रमुख शहरों में ए ग्रेड ऑफिस के कुल स्टॉक में ग्रीन सर्टिफाइड ऑफिस की हिस्सेदारी बढ़कर अब 65 फीसदी हो गई है। इस समय 7 प्रमुख शहरों में ए ग्रेड ऑफिस का कुल स्टॉक 88.85 करोड़ वर्ग फुट है। इनमें से 57.77 करोड़ वर्ग फुट यानी 65 फीसदी ग्रीन सर्टिफाइड ऑफिस हैं। देश में 1,362 ए ग्रेड बिल्डिंग में से 805 यानी 59 फीसदी बिल्डिंग ग्रीन सर्टिफाइड हैं। जो भारत की टिकाऊ निर्माण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। 5 लाख वर्ग फुट से कम बिल्ड-अप एरिया वाली 47 फीसदी बिल्डिंग ग्रीन सर्टिफाइड हैं। 10 लाख वर्ग फुट से अधिक बिल्ड-अप वाली 19 फीसदी ऑफिस बिल्डिंग ही ग्रीन सर्टिफाइड है। एक लाख वर्ग फुट से कम बिल्ड-अप वाली ऑफिस बिल्डिंग में ग्रीन सर्टिफिकेट बहुत ही कम हैं।ग्रीन सर्टिफाइड ऑफिस बिल्डिंग के किराये पर बिना ग्रीन सर्टिफाइड बिल्डिंग से 12 से 14 फीसदी प्रीमियम अधिक रहता है। जो बिल्डरों को इन बिल्डिंग को बनाने में निवेश के लिए प्रोत्साहित करता है। बेंगलुरु 23 से 25 फीसदी प्रीमियम के साथ सबसे आगे है। चेन्नई और हैदराबाद में यह प्रीमियम क्रमशः 12 से 14 फीसदी और 13 से 15 फीसदी है। मुंबई और पुणे में डेवलपर ग्रीन सर्टिफाइड बिल्डिंग के लिए बिना ग्रीन सर्टिफाइड बिल्डिंग की तुलना में 8 से 12 फीसदी प्रीमियम लेते हैं।