चुनावी वैतरणी में हनुमान चालीसा और सुंदरकांड की मांग बढ़ी

चुनावी वैतरणी में हनुमान चालीसा और सुंदरकांड की मांग बढ़ी

भोपाल [ महामीडिया ] जब संकट की घड़ी आती है सबसे पहले हनुमान जी की ही याद आती है। इसीलिए तो उन्‍हें संकट मोचक कहा जाता है। अब चूंकि चुनावी समय है तो ऐसे में प्रत्‍याशियों को हनुमान जी याद आ रहे हैं। नतीजा, बाजार में हनुमान चालीसा और सुंदरकांड की मांग में बढ़ोतरी हो गई है। चुनावी भवसागर पार करवाने के लिए अब वे हनुमान जी से ही आस लगा रहे हैं। हनुमान चालीसा एवं सुंदरकांड की सर्वाधिक मांग हिंदी भाषी प्रदेशों में है। बात सही भी है क्‍योंकि चुनाव जीतना है तो हनुमान जी की कृपा तो चाहिये ही चाहिये। जहां तक भाषा की बात है, हिंदी के बाद गुजराती भाषा में हनुमान चालीसा एवं सुंदर कांड की मांग सबसे अधिक है। गत वर्ष भी गुजराती हनुमान चालीसा की दो लाख प्रतियां प्रकाशित की गई थी। इस बार इसकी चार लाख प्रतियां प्रकाशित हुईं हैं। इस बार भी उम्‍मीद जताई जा रही है हनुमान चालीसा एवं सुंदर कांड की प्रतियां अधिकाअधिक प्रकाशित होंगी। 

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