
आयकर विधेयक में एलएलपी को राहत देने की तैयारी
भोपाल [महामीडिया] सरकार आयकर विधेयक 2025 के उस प्रावधान में अहम बदलाव कर सकती है जिसके तहत गैर-कॉरपोरेट करदाताओं के लिए न्यूनतम वैकल्पिक कर का दायरा बढ़ा दिया गया था। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस श्रेणी में पार्टनरशिप फर्म और लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (एलएलपी) फर्म जैसी करदाता आती हैं जो केवल दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कमाती हैं। विधेयक में ऐसे गैर-कॉरपोरेट करदाताओं के लिए अध्याय 6-ए के तहत कटौती का संदर्भ हटा दिया था। ऐसे में लग रहा था कि किसी भी कर लाभ का का दावा न करने वाले करदाताओं को भी वैकल्पिक न्यूनतम कर देना पड़ सकता है।गैर-कॉरपोरेट करदाताओं से उपकर और अधिभार के अलावा 18.5 फीसदी न्यूनतम वैकल्पिक कर लिया जाता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि उच्च आय वाले लोग कर में छूट का लाभ उठाते हुए अपनी कर देनदारियों से नहीं बच पाएं। हालांकि केवल दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कमाने वाली एलएलपी को 12.5 फीसदी कर देना पड़ता है। आयकर विधेयक में इस छूट के कारण केवल दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कमाने वाली एलएलपी को भी 18.5 फीसदी न्यूनतम वैकल्पिक कर का भुगतान करना पड़ता। ऐसे में उनका कर बोझ बढ़ सकता था।