म.प्र.की ग्रेडिंग में राजस्व विभाग पीछे

म.प्र.की ग्रेडिंग में राजस्व विभाग पीछे

भोपाल [महामीडिया] म.प्र.ने शासकीय व्यवस्था को तेज और पारदर्शी बनाने के लिए कई नवाचार और प्रयोग किए हैं लेकिन उसके बाद भी कई विभागों की स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है। विभाग से संबंधित आने वाली शिकायतों के निराकरण में भी विभागों की रूचि नहीं है।  शिकायतों के निराकरण के संबंध में राज्य सरकार द्वारा कराई गई ग्रेडिंग में राजस्व विभाग सबसे फिसड्डी साबित हुआ है। दरअसल मप्र में राजस्व विभाग सबसे ज्यादा शिकायतों वाले विभाग में शुमार हो गया है। इस विभाग की निराकरण की स्थिति काफी दयनीय है। शिकायतों के निबटारे के लिए जांच व कार्रवाई के बजाय विभागीय अफसर आवेदनों को निरस्त कर देते हैं इससे शिकायतों की संख्या शून्य या नीचे आ जाती है। यही रिपोर्ट शासन को भेज दी जाती है। प्रथम 5 विभागों के शिकायतों में राजस्व विभाग प्रथम, पंचायत एवं ग्रामीण विभाग द्वितीय, नगरीय प्रशासन तृतीय, गृह चतुर्थ और ऊर्जा विभाग पांचवें स्थान पर है।
राज्य शासन की ग्रेडिंग में कई विभागों की स्थिति खराब है। राज्य सरकार ने एक हजार से ऊपर के शिकायतों में 30 विभागों को प्रथम समूह में, जबकि एक हजार से कम के शिकायतों में कुल 22 विभाग शामिल हैं। प्रथम समूह में शिकायतों के मामले में राजस्व विभाग की स्थिति काफी दयनीय है। इस विभाग में एक से 28 फरवरी के बीच में कुल 57 हजार शिकायतें मिली। इसमें 78 फीसदी का निराकरण कर लिया गया। इसमें भी 44 फीसदी शिकायतों को बंद कर दिया गया। इसमें टीप संतुष्टि के साथ दी गई। हालांकि शिकायतों को निरस्त करने की प्रक्रिया ज्यादा पूरी कराई गई। दूसरे नंबर पर पंचायत एवं ग्रामीण विभाग रहा। इस विभाग में कुल करीब 54 हजार शिकायतें मिली, इसमें से 88 फीसदी का निराकरण किया गया। इसमें भी 10 में से 9.99 फीसदी शिकायतें निम्न गुणवत्ता के साथ बंद की गई। 50 दिन से अधिक पेंडिंग रहने वाली शिकायतों में ग्रेडिंग 10 में से 8.37 फीसदी रही।  गौरतलब है कि विभागवार वोडिंग में अफसरों ने 5 केटेगरी बनाई। पहले में 60 फीसदी मेरिट के साथ वेटेज दिया गया। इसे संतुष्टि के साथ बंद शिकायतों का वेटेज नाम दिया गया। कितनी शिकायतों का निराकरण किस तरह से हुआ, इसका जिक्र नहीं किया गया। दूसरी ग्रेडिंग में 50 दिवस से अधिक लंबित शिकायतों का वेटेज यानी आंकलन महज 10 फीसदी के साथ किया गया। तीसरे में निम्न गुणवत्ता से बंद शिकायतों को शामिल किया गया, जबकि चौथे में नोट अटेंडेंट शिकायतों का वेटेज 10 फीसदी के साथ रखा गया। पांचवे में मान्य व अमान्य शिकायतों को रखा गया। इसका वेटेज भी 10 फीसदी दिया गया। कोडिंग की पूरी प्रक्रिया को संख्या देने के बजाय प्रतिशत में देकर उसे उलझा दिया गया।  द्वितीय समूह में सबसे अधिक 794 शिकायतें कुटीर एवं ग्रामोद्योग का रहा यहां कुल 58 फीसदी निराकरण किया गया। इसके बाद नर्मदा घाटी विकास विभाग में 522, मप्र निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग में 155 शिकायतें आई, 53 फीसदी का निराकरण हुआ।

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