
म.प्र. के निजी विश्वविद्यालों में अभी तक मात्र 15 हजार एडमिशन
नई दिल्ली [ महामीडिया] प्रदेश की 53 प्राइवेट यूनिवर्सिटी में अब तक केवल 15 हजार छात्र-छात्राओं ने ही एडमिशन लिया है। कम विद्यार्थियों के एडमिशन लेने के साथ ही दाखिले की अंतिम तारीख भी गुजर गई है। अब निजी विवि विनियामक आयोग का तर्क है कि शासन के अनुसार एडमिशन होंगे। मध्य प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों में पीएचडी की डिग्री बांटने का खेल ऐसा चल रहा है कि पिछले दस वर्षों के दौरान देशभर के चार हजार लोगों को डाक्टरेट (पीएचडी) की उपाधि प्रदान कर दी गई। हर डिग्री की कीमत 10 से 15 लाख रुपये वसूली जाती है। यह बात कई राज्यों में पकड़े गए फर्जीवाड़े से सामने आई है। कई ऐसे एजेंट की गिरफ्तारी भी की है, जो पैसे लेकर मप्र के निजी विश्वविद्यालयों से फर्जी डिग्री दिला रहे थे। निजी विश्वविद्यालयों द्वारा बांटी गई पीएचडी डिग्रीधारियों का ब्योरा सूचना के अधिकार के तहत नहीं दीगई। जाहिर है विभागीय मिलीभगत से ही अब तक डिग्रियों का फर्जीवाड़ा चल रहा था। नियमों के अनुसार, पीएचडी की उपाधि या डिग्री के लिए आवश्यक गाइड विवि में कार्यरत प्राध्यापक स्तर का होना अनिवार्य है। यह बात सामने आई है कि सत्यसाई विश्वविद्यालय, एपीजे अब्दुल कलाम विश्वविद्यालय, स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय सहित कई अन्य विश्वविद्यालों ने जितनी संख्या में पीएचडी की डिग्री बांटी, उतने प्राध्यापक उनके पास नहीं हैं। इन्होंने गाइड के नाम का इस्तेमाल कर उन्हें भी उपकृत कर दिया।