म.प्र. सीएसआर फंड का उपयोग वृक्षारोपण में करेगा
भोपाल [ महामीडिया] म.प्र. सरकार ने अब प्रदेश में बिगड़े हुए वनों की स्थिति में सुधार लाने के लिए निजी कंपनियों को वृक्षारोपण सौंपने का तय किया है। इसके तहत पांच बड़ी कंपनियों को 1हजार करोड़ में वन क्षेत्रों में सुधार का काम सौंपा जाएगा। कम्पनियों को सीएसआर फण्ड की वजह से इन्हें आकर्षित किया जा रहा है । एवज में 8 हजार हेक्टेयर से ज्यादा बिगड़ी वन भूमि का जिम्मा दिया जाएगा। यह कंपनियां इस भूमि पर बिगड़े हुए वनों में सुधार का काम करेंगी। प्रदेश में 77492 वर्ग किमी क्षेत्र में वन हैं। इसमें खुला वन क्षेत्र 36619 वर्ग किमी का है। इसके अलावा सामान्य सघन वन 34209 वर्ग किमी का है। वहीं अति सघन वन 6665 वर्ग किमी में है। जंगल में लगातार हो रहे अतिक्रमण की वजह से खुला वन क्षेत्र बढ़ रहा है। वर्ष 2019 में खुला वन क्षेत्र 36465 वर्ग किमी का था, जो अब बढक़र 36619 वर्ग किमी का हो गया है। यानि की 154 वर्ग किमी का खुला वन क्षेत्र बढ़ गया है।
हर साल पौधा रोपण पर करोड़ों का खर्च मध्य प्रदेश के जंगलों को हरा-भरा रखने के लिए हर साल पौधे लगाए जाते हैं। अगर बीते कुछ वर्षों में पौधारोपण पर खर्च किए को देखें तो साल 2021- 22 में अकेले पौधारोपण पर 350.96 करोड़ रुपए खर्च हुए। वहीं इनके संरक्षण पर 17.98 करोड़ रुपए खर्च कर डाले। इसी तरह साल 2020-21 में पौधारोपण पर 348 करोड़ और संरक्षण पर 20.92 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। पौधारोपण के छह महीने बाद इनकी निगरानी और गणना भी हुई। पौधों की निगरानी तीन साल तक की जाती है। इसके बाद भी हरियाली में वृद्धि नहीं हो पा रही है।