जन्माष्टमी: भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी जरूरी बातें

जन्माष्टमी: भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी जरूरी बातें

भोपाल (महामीडिया) देशभर में कल जन्माष्टमी का पावन पर्व मनाया जाएगा। जन्माष्टमी को श्री कृष्ण जन्मोत्सव भी कहा जाता है। भगवान कृष्ण को पूर्णावतार कहा गया है। कृष्ण के जीवन में वह सबकुछ है जिसकी मानव को आवश्यकता होती है। कृष्ण गुरु हैं, तो वे शिष्य भी हैं। वे एक आदर्श पति हैं तो प्रेमी भी हैं। वे एक आदर्श मित्र हैं, तो शत्रु भी हैं। वे युद्ध में कुशल हैं तो बुद्धि में भी उनका कोई तोड़ नहीं है। कृष्ण के जीवन में वह हर रंग है, जो धरती पर पाए जाते हैं, इसीलिए उन्हें पूर्णावतार कहा गया है। 
आठ का अंक- कृष्ण के जीवन में आठ अंक का अजब संयोग है। उनका जन्म आठवें मनु के काल में अष्टमी के दिन वसुदेव के आठवें पुत्र के रूप में जन्म हुआ था। उनकी आठ सखियां, आठ पत्नियां, आठ मित्र और आठ शत्रु थे। इस तरह उनके जीवन में आठ अंक का बहुत संयोग है।
कृष्ण के नाम- भगवान श्री कृष्म के अन्य नामों में नंदलाल, गोपाल, बांके बिहारी, कन्हैया, केशव, श्याम, रणछोड़दास, द्वारिकाधीश और वासुदेव शामिल है। इसके अलावा उन्हें अपने भक्तों से मुरलीधर, माधव, गिरधारी, घनश्याम, माखनचोर, मुरारी, मनोहर, हरि, रासबिहारी आदि नाम प्राप्त हुए।
कृष्ण के माता-पिता– भगवान कृष्ण की माता का नाम देवकी और पिता का नाम वसुदेव था। लेकिन जिन्होंने गोपाल को पाला, वे यशोदा मैय्या थीं और धर्मपिता का नाम नंद था। बलराम की माता रोहिणी ने भी उन्हें माता के समान दुलार दिया। रोहिणी वसुदेव की प‍त्नी थीं।
कृष्ण के गुरु- गुरु संदीपनि ने कृष्ण को वेद शास्त्रों सहित 14 विद्या और 64 कलाओं का ज्ञान दिया था। गुरु घोरंगिरस ने सांगोपांग ब्रह्म ज्ञान की शिक्षा दी थी। 
कृष्ण के भाई- कृष्ण के भाइयों में नेमिनाथ, बलराम और गद थे। शौरपुरी (मथुरा) के यादववंशी राजा अंधकवृष्णी के ज्येष्ठ पुत्र समुद्रविजय के पुत्र थे नेमिनाथ। अंधकवृष्णी के सबसे छोटे पुत्र वसुदेव से उत्पन्न हुए भगवान श्रीकृष्ण। इस प्रकार नेमिनाथ और श्रीकृष्ण दोनों चचेरे भाई थे। इनके अलावा बलराम और गद भी कृष्ण के भाई थे।
कृष्ण की 3 बहनें थी- भगवान श्री कृष्ण की पहली बहन का नाम एकानंगा था, वे यशोदा माता की पुत्री थीं। उनकी दूसरी बहन सुभद्रा थीं। वसुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी से बलराम और सुभद्रा का जन्म हुआ था। वसुदेव, देवकी के साथ जिस समय कारागृह में बंदी थे, उस समय ये नंद के यहां रहती थीं। सुभद्रा का विवाह कृष्ण ने अपनी बुआ कुंती के पुत्र अर्जुन से किया था। लेकिन, बलराम अपनी बहन सुभद्रा का विवाह दुर्योधन से करना चाहते थे। द्रौपदी, कन्हैया की तीसरी बहन थीं। वैसे तो द्रौपदी और कृष्ण के बीच ऐसा कोई सीधा संबंध नहीं था लेकिन श्रीकृष्‍ण उन्हें अपनी मानस भगिनी मानते थे। देवकी के गर्भ से सती ने महामाया के रूप में इनके घर जन्म लिया, जो कंस के पटकने पर हाथ से छूट गई थी। कहते हैं, विन्ध्याचल में इसी देवी का निवास है। यह भी कृष्ण की बहन थीं।
कृष्ण की पत्नियां- रुक्मिणी, जाम्बवंती, सत्यभामा, मित्रवंदा, सत्या, लक्ष्मणा, भद्रा और कालिंदी।
कृष्ण के पुत्र- रुक्मणी से प्रद्युम्न, चारुदेष्ण, जम्बवंती से साम्ब, मित्रवंदा से वृक, सत्या से वीर, सत्यभामा से भानु।
कृष्ण की पुत्रियां- रुक्मणी से कृष्ण की एक पुत्री थीं, जिसका नाम चारू था।
कृष्ण के पौत्र- प्रद्युम्न से अनिरुद्ध. अनिरुद्ध का विवाह वाणासुर की पुत्री उषा के साथ हुआ था।
कृष्ण की 8 सखियां- राधा, ललिता, चन्द्रावली, श्यामा, शैव्या, पद्या, विशाखा तथा भद्रा।
कृष्ण के 8 मित्र- श्रीदामा, सुदामा, सुबल, स्तोक कृष्ण, अर्जुन, वृषबन्धु, मन:सौख्य, सुभग, बली और प्राणभानु। इनमें से आठ उनके साथ मित्र थे। ये नाम आदिपुराण में मिलते हैं। हालांकि इसके अलावा भी कृष्ण के हजारों मित्र थे जिसमें दुर्योधन का नाम भी लिया जाता है।
कृष्ण के शत्रु- कंस, जरासंध, शिशुपाल, कालयवन, पौंड्रक. कंस तो मामा था। कंस का श्वसुर जरासंध था। शिशुपाल कृष्ण की बुआ का लड़का था। कालयवन यवन जाति का मलेच्छ था जो जरासंध का मित्र था। पौंड्रक काशी नरेश था जो खुद को विष्णु का अवतार मानता था।
कृष्ण लोक- वैकुंठ, गोलोक, विष्णु लोक.
कृष्ण ग्रंथ- महाभारत और गीता
कृष्ण का कुल- यदुकुल। कृष्ण के समय उनके कुल के कुल 18 कुल थे। अर्थात उनके कुल की कुल 18 शाखाएं थीं। यह अंधक-वृष्णियों का कुल था। वृष्णि होने के कारण ये वैष्णव कहलाए। 
कृष्ण पर्व- श्री कृष्ण ने ही होली और अन्नकूट महोत्सव की शुरुआत की थी। जन्माष्टमी के दिन उनका जन्मदिन मनाया जाता है।
 

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