झाबुआ में परिवहन व्यवस्था को दुरुस्त करे प्रशासन 

झाबुआ में परिवहन व्यवस्था को दुरुस्त करे प्रशासन 

झाबुआ [ महामीडिया] झाबुआ में अफसरों व बस संचालकों के गठबंधन ने लोक परिवहन व्यवस्था को ध्वस्त करके रख दिया है। पहले मध्यप्रदेश राज्य परिवहन निगम पर ताले लगे। इसके बाद जिले में लगातार पड़ोसी राज्यों की बसों को टारगेट किया जाने लगा। कभी उनके चालक-परिचालक के साथ मारपीट तो कभी गाली-गलौज करने की घटना नियमित होने लगी। वर्तमान में स्थिति यह है कि गुजरात राज्य परिवहन निगम की यात्री बसों को झाबुआ बस स्टैंड पर आने ही नहीं दिया जाता है। गुजरात के दाहोद, वड़ोदरा, अहमदाबाद आदि स्थानों पर बड़ी आबादी को आने-जाने में दिक्कत होती है। अधिकांश तो स्वास्थ्य सेवा के कारण वहां की यात्रा करने को मजबूर होते हैं।इस संपूर्ण मैदानी हकीकत की वजह सिर्फ एक ही है, वह है निजी बस संचालकों का वर्चस्व। जिले की लोक परिवहन व्यवस्था पर निजी क्षेत्र अपना आधिपत्य जमा रहा है। अफसर मौन रहकर सब कुछ चलने देते हैं, इसीलिए दिखावे के लिए हमेशा कहा जाता है कि अंतरराज्यीय सरकारी बसों को सुरक्षा देंगे, मगर जब मामले हिसंक विवाद तक पहुंचता है तो जानबूझकर ढिलाई बरती जाती है। माहौल कुछ इस तरह का निर्मित हो जाता है, जिससे पीड़ित ही भयभीत होता है।दो दशक पूर्व जब आर्थिक कारणों के चलते मध्यप्रदेश राज्य परिवहन निगम बंद हुआ तो जिले से गुजरने वाली 14 रूट की बसों पर रसूखदारों ने कब्जा कर लिया। इंदौर से अहमदाबाद व इंदौर से झाबुआ होकर वड़ोदरा के रूट की बसें प्रमुख थीं। अनुबंधित के रूप में प्रभावशाली इन लाइनों पर अपनी बसें सरपट दौड़ाने लगे। सवारी गुजरात की बसों में बैठना अधिक पसंद करती हैं तो उनके वाहनों को रोकने की कोशिश होने लगी। स्थिति यह है कि राजस्थान की दो बसें बंद हो चुकी हैं। गुजरात की आठ बसें चल रही हैं, मगर उनको कभी बस स्टैंड पर आने से तो कभी रास्ते में सवारी बैठाने पर धमकाया जाता है।
 

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