भूमि अधिग्रहण कानून में सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन 

भूमि अधिग्रहण कानून में सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन 

भोपाल [ महामीडिया] पंजाब और हरियाणा के किसान फरवरी से खनौरी और शंभू बॉर्डर पर डटे हुए हैं। उनकी मांगों में फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देना और अन्य दर्जनभर मुद्दे शामिल हैं। इनमें सबसे प्रमुख मांगों में से एक है भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को लागू करना। यह मांग उस वक्त चौंकाने वाली लगती है जब यह कानून पहले से ही लागू है। लेकिन किसान इसके सही तरीके से अमल में न लाने का आरोप लगाते हैं। यह कानून जनवरी 2014 से लागू है और 2015 में इसमें कुछ संशोधन किए गए।इस कानून का उद्देश्य भूमि अधिग्रहण के लिए एक आधुनिक और पारदर्शी ढांचा तैयार करना है जो प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा और पुनर्वास प्रदान करे। 

इस कानून के तहत भूमि अधिग्रहण में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाती है। प्रभावित किसानों को बाजार मूल्य से दोगुना मुआवजा शहरी क्षेत्रों में और ग्रामीण क्षेत्रों में चार गुना मुआवजा दिया जाता है। इसके अलावा, सार्वजनिक-निजी साझेदारी परियोजनाओं के लिए 70% और निजी कंपनियों के लिए 80% प्रभावित परिवारों की सहमति आवश्यक है।सरकारी परियोजनाओं के लिए बहुफसली सिंचित भूमि का अधिग्रहण सीमित किया गया है। यदि ऐसी भूमि अधिग्रहित की जाती है, तो सरकार को उतने ही क्षेत्रफल में बंजर भूमि को कृषि योग्य बनाना होगा।कानून में सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन  का प्रावधान है, जिसके तहत भूमि अधिग्रहण के सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक प्रभावों का आकलन किया जाता है। इसके अतिरिक्त, प्रभावित परिवारों को पुनर्वास और पुनर्स्थापन के तहत मकान, आजीविका के लिए आर्थिक सहायता, और पुनर्स्थापित क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं जैसे सड़कें, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र प्रदान किए जाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कानून के तहत प्रक्रिया जटिल है, जिससे विकास परियोजनाओं में देरी होती है। इसके अलावा, उच्च मुआवजा राशि से सरकारी और निजी परियोजनाओं का बजट प्रभावित होता है।विकास और सामाजिक न्याय के बीच संतुलन बनाना सरकार के लिए हमेशा एक मुश्किल मुद्दा रहा है। इसी कारण इस कानून को पूरी तरह लागू करना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन (एसआईए) एक प्रक्रिया है जिसके ज़रिए किसी योजना या कार्यक्रम के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के सामाजिक प्रभावों का विश्लेषण, निगरानी, और प्रबंधन किया जाता है।  इसका उद्देश्य किसी योजना के बेहतर नतीजे लाने के लिए काम करना होता है।  

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