
चावल के उत्पादन को लेकर वैश्विक चिंता
मैहर अगस्त की शुरुआत में 2.43 करोड़ टन का भंडार था जो पिछले साल के इसी महीने से 13.09 फीसदी कम है। इस भंडार में चावल मिलों के पास मौजूद 19.6 लाख टन धान शामिल नहीं है। पंजाब और हरियाणा में जुलाई में अमृतसर, फिरोजपुर, मोहाली, मनसा और पटियाला में भारी बारिश के कारण खेतों में पानी भर जाने से उत्पादन की लागत बढ़ गई। किसानों को खेतों की गाद हटाकर फसल की दोबारा बोआई करनी पड़ी। पश्चिम बंगाल में खरीफ और रबी यानी बोरो दोनों सत्र में 2.53 करोड़ टन धान का उत्पादन होता है। रबी धान की बोआई सर्दी में की जाती है और गर्मी में कटाई की जाती है।दक्षिण बंगाल के पुरुलिया, बांकुड़ा, पश्चिम बर्दवान, नदिया और मुर्शिदाबाद में अगस्त की शुरुआत तक बारिश में 26 से लेकर 45 प्रतिशत तक की कमी थी। हालांकि अगस्त में बाद में बारिश होने से बोआई का रकबा बढ़ा है। फिर भी यह लक्ष्य से कम है।राज्य में इस साल खरीफ में 43 लाख हेक्टेयर में धान की बोआई का लक्ष्य रखा गया था इसमें से सितंबर की शुरुआत तक 40 लाख हेक्टेयर में बोआई हो चुकी है। एक धान उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में अगस्त तक लक्षित इलाके के करीब 99 फीसदी में धान की बोआई हो चुकी है। 1 जून से 5 सितंबर के बीच राज्य के 75 जिलों में से 46 में कम बारिश हुई है। इनमें सबसे ज्यादा असर धान उत्पादक जिलों में है। केरल की समस्या दूसरी है। वहां करीब 25,000 किसानों को 6 महीने पहले खरीदे गए धान की रकम अभी तक नहीं मिली है। जिन लोगों को पैसा मिला है, उनका आरोप है कि सरकार ने इसे ऋण के रूप में दिया है। किसानों ने अपनी पीड़ा बताने के लिए ओणम त्योहार के पहले दिन भूख हड़ताल भी की। केरल के किसानों के अनुसार बारिश से ज्यादा इस तरह के मसले उन्हें अधिक परेशान कर रहे हैं। अल नीनो की दस्तक के कारण दुनिया भर के चावल बाजारों में अनिश्चितता बनी हुई है। निर्यात पर रोक लगाकर भारत ने इसे और बढ़ा दिया है। भारत वैश्विक आपूर्ति में करीब 40 फीसदी योगदान देता है। एक एक करके कई देश और स्थानीय सरकारें चावल की कीमतों में वृद्धि पर नियंत्रण के लिए जूझ रही हैं। चावल मूल्य सूचकांक आपूर्ति में तंगी के कारण इस साल जुलाई में बढ़कर सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया जो 12 साल का सबसे अधिक है। भारत, थाईलैंड, वियतनाम, कंबोडिया और पाकिस्तान चावल के सबसे प्रमुख निर्यातक हैं जबकि चीन, फिलीपीन, बेनिन, सेनेगल, नाइजीरिया और मलेशिया सबसे बड़े आयातक हैं।