जस्टिस नागरत्ना ने सामाजिक न्याय को आदर्श बताया 

जस्टिस नागरत्ना ने सामाजिक न्याय को आदर्श बताया 

भोपाल [ महामीडिया ] जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने कोलंबिया लॉ स्कूल में वर्चुअल संबोधन में कहा कि भारत का संविधान समावेशी शासन और सामाजिक न्याय के लिए मानक स्थापित करता है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने "भारतीय संविधान के 75 वर्ष-सुप्रीम कोर्ट और सामाजिक न्याय: 75 साल का इतिहास"  विषय पर बात की। अपने संबोधन की शुरुआत में जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि हमारे परिवर्तनकारी संविधान की साहसिक आकांक्षाएं पूर्वाग्रह, कलंक और शोषण जैसी दमनकारी सामाजिक गलतियों के खिलाफ अधिकार और उपचार प्रदान करने में प्रकट होती हैं।इस प्रश्न के उत्तर में जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि सामाजिक न्याय आदर्श है, जो समाज में अन्याय और असमानता के क्रमिक उन्मूलन के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। यह व्यापक सामाजिक पदानुक्रम और पिछले अन्याय के प्रभाव को कम करने के लिए परिवर्तनकारी प्रयासों का आह्वान करता है। यह न्याय की स्थितियों के निर्माण की भी मांग करता है। न्याय की इन शर्तों के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि ये किसी ऐसे कार्य, निर्णय या स्थिति को रोकने के उपाय की सक्रिय प्रक्रिया से उभरेंगे जो लोगों में अन्याय की भावना पैदा करेगा। समाज के कमजोर वर्गों के लिए विशेष संवैधानिक प्रावधान और सुरक्षा उपाय न्याय की ऐसी स्थितियां पैदा करने के इरादे को प्रकट करते हैं।

सम्बंधित ख़बरें