वेदों का श्रवण ही देवताओं से आशीर्वाद प्राप्ति का साधन है : ब्रह्मचारी गिरीश जी

वेदों का श्रवण ही देवताओं से आशीर्वाद प्राप्ति का साधन है : ब्रह्मचारी गिरीश जी

प्रयागराज (महामीडिया):  तीर्थराज प्रयाग में आयोजित महा कुम्भ - 2025 के अवसर पर प्रयागराज में संगम तट स्थित महर्षि आश्रम में महर्षि महेश योगी जी के तपोनिष्ठ शिष्य ब्रह्मचारी गिरीश जी ने आज  महर्षि विद्या मंदिर के कुछ निदेशकों के साथ विंध्याचल स्थित विंध्यवासिनी देवी मंदिर पहुंचकर देवी माँ की पूजा अर्चना की एवं विश्व के समस्त नागरिकों के लिए उत्तम स्वास्थ्य, समृद्धि  एवं शांति हेतु उनसे आशीर्वाद माँगा। इस शुभ अवसर पर उन्होंने बतलाया कि “ विंध्यवासिनी देवी समस्त महादेविओं लक्ष्मी जी, काली जी, दुर्गा जी, सरस्वती जी की मूल रूप हैं। केवल इनकी पूजा अर्चना से समस्त महादेविओं की कृपा एवं आशीर्वाद स्वमेव प्राप्त हो जाता है।”
इसके पश्चात उन्होंने विंध्याचल शहर के समीप स्थित महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ पहुँचकर वहां अध्ययनरत 145 बटुक पंडितों से भेंट की  तथा उनके द्वारा किये जा रहे वेदों  के अध्ययन की स्थिति की जानकारी प्राप्त की । उन्होंने बटुक पंडितों द्वारा किये जा रहे वेदपाठ का श्रवण भी किया । ब्रह्मचारी गिरीश जी ने उन्हें बतलाया कि ” वेद पूर्ण ज्ञान हैं, वे आत्मा के स्पंदन हैं ।  वेदों का पाठ ऊँची आवाज में न कर धीमी एवं मीठी ध्वनि से करना चाहिए क्योंकि वेदों का सुमधुर पाठ ही देवताओं से आशीर्वाद प्राप्ति का साधन है।” उन्होंने सभी बटुक पंडितों, उनके आचार्यों एवं विद्यापीठ के व्यवस्थापक को उनके उज्जवल भविष्य के लिए अपनी शुभकामनाएं प्रदान की ।
 

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