स्वतंत्र निदेशकों की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण पहलू 

स्वतंत्र निदेशकों की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण पहलू 

भोपाल [ महामीडिया] उद्योग निकाय कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज ने दिशानिर्देशों में सिफारिश की है कि सभी सूचीबद्ध कंपनियां अपने स्वतंत्र निदेशकों को आपराधिक उत्तरदायित्व के खिलाफ कानूनी व प्रक्रियागत सुरक्षा मुहैया कराएं ताकि निदेशक मंडल में और प्रतिभाएं आकर्षित की जा सकें । स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति और बोर्ड के मूल्यांकन की प्रक्रिया से संबंधित दिशानिर्देशों में उद्योग संगठन ने उनकी सुरक्षा की खातिर लिखित करारों के जरिये नुकसान से सुरक्षा दिए जाने का सुझाव दिया है। सीआईआई का सुझाव है कि स्वतंत्र निदेशकों के खिलाफ कार्यवाही तभी शुरू हो, जब प्रथम दृष्टया उनके उ‍स मामले में शामिल होने का सबूत हो । स्वतंत्र निदेशकों पर जिम्मेदारी डालने के मामले में भारत काफी आगे ​निकल गया है। जांच पूरा होने और अदालतों में उनके गलत कार्य साबित होने से पहले ही स्वतंत्र निदेशकों की गिरफ्तारी समेत जांच एजेंसियों की उत्साही प्रतिक्रिया से अच्छे गुण वाले स्वतंत्र निदेशकों की कमी हो जाती है (खास तौर से सूचीबद्ध इकाइयों के लिए) क्योंकि लोग अपने कानूनी दायित्व व साख को लेकर चिंतित होते हैं।नियमों के तहत बाजार पूंजीकरण के लिहाज से 1,000 अग्रणी सूचीबद्ध कंपनियों को अपने निदेशकों व अधिकारियों को लाइबिलि​टी इंश्योरेंस (दूसरे लोगों को क्षति आदि से पैदा होने वाले क्लेम से सुरक्षा) मुहैया करानी होती है। यह सुरक्षा सभी सूचीबद्ध कंपनियों की तरफ से मिलनी चाहिए।इसके अलावा स्वतंत्र निदेशकों की जवाबदेही, नियुक्ति के लिए पहले से तय मानक, अवधि और मुआवजे की समीक्षा के अलावा बोर्ड में ज्यादा विविधता (मसलन ज्यादा महिला निदेशक व विभिन्न कौशल से दक्ष लोग) लाने का आह्वान किया है।निदेशकों का चयन संगठन की जरूरत पर आधारित हो सकती है बजाय अन्य मानदंडों जैसे अनुभव के आधार पर। इसके अतिरिक्त, नीतियों की निरंतरता आदि की खातिर स्वतंत्र निदेशकों के कार्यकाल की समीक्षा की भी सिफारिश की गई है। प्रदर्शन आदि के आधार पर स्वतंत्र निदेशकों को उनकी मेधा के आधार पर पांच-पांच साल के दो कार्यकाल के लिए नियुक्त किया जा सकता है। इससे स्वतंत्र निदेशकों को क्षेत्र व कंपनी को समझने में मदद मिलेगी और यह उन्हें लंबी अवधि के लिहाज से प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम बनाएगा। उद्योग निकाय ने जिम्मेदारियों में संकट व जोखिम प्रबंधन, आंतरिक नियंत्रण और आचरण आदि के मानकों को जोड़ने का सुझाव दिया है जबकि रणनीति, वित्त व अंकेक्षण में उनकी पारंपरिक भूमिका पहले से ही है। उद्योग निकाय ने बोर्ड के निदेशकों के प्रदर्शन के मूल्यांकन की खातिर अतिरिक्त कदमों का सुझाव दिया है, जिसमें समयसीमा तय करना और रेटिंग की व्यवस्था शामिल है।

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