सुप्रीम कोर्ट ने उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग का आदेश रद्द किया
नईदिल्ली [ महामीडिया] सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग द्वारा 7 जुलाई 2008 को पारित आदेश रद्द कर दिया है जिसे रिज़र्व बैंक मामले में पारित किया गया था। उक्त आदेश के तहत राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग माना था कि क्रेडिट कार्ड धारकों से 36% प्रति वर्ष से 50% प्रति वर्ष के बीच ब्याज वसूलना अत्यधिक ब्याज दर है। आयोग ने क्रेडिट कार्ड पर ब्याज दर के रूप में 30% की सीमा तय की थी। उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने माना था कि यह अनुचित व्यापार व्यवहार है क्योंकि बैंकों और क्रेडिट कार्ड धारकों की सौदेबाजी की स्थिति पर विचार करने पर क्रेडिट कार्ड की सुविधा को स्वीकार न करने के अलावा कोई सौदेबाजी की क्षमता नहीं थी। इसके अलावा यह भी स्वीकार किया गया था कि क्रेडिट कार्ड रखने के लिए बैंक द्वारा विभिन्न मार्केटिंग रणनीतियों के माध्यम से प्रलोभन दिया जाता है।