कोर्ट ने खनिज अधिकारों पर अपने दूरगामी फैसले को सरलीकृत किया
भोपाल [महामीडिया] सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि 25 जुलाई को दिए गए उसके फैसले में खनिज अधिकारों और खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने की राज्यों की शक्तियों को बरकरार रखा गया था, लेकिन इसे फैसले की तारीख से ही संभावित प्रभाव दिया जाना चाहिए। इसका मतलब यह है कि कोर्ट ने फैसले के आधार पर राज्यों को पिछली अवधि के लिए कर बकाया वसूलने की अनुमति दी है। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने पीठ के निष्कर्ष के संदर्भ मे कहा है की " इस निर्णय के आधार पर राज्यों द्वारा कर लगाना 1 अप्रैल, 2005 से पहले की अवधि के दौरान किए गए लेन-देन पर लागू नहीं होना चाहिए। न्यायालय ने यह भी कहा कि कर बकाया का भुगतान 1 अप्रैल, 2026 से 12 वर्षों की अवधि में किया जा सकता है । न्यायालय ने आगे कहा कि 25 जुलाई, 2024 से पहले की अवधि के लिए की गई मांग पर कोई ब्याज या जुर्माना नहीं लगाया जाना चाहिए।"