म.प्र.को नर्मदा जल का अधिकतम उपयोग करना होगा

म.प्र.को नर्मदा जल का अधिकतम उपयोग करना होगा

भोपाल [ महामीडिया] नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण ने म.प्र. के 18.25 एमएएफ जल का उपयोग करने के लिए दिसंबर 2024 तक का समय दिया था। न्यायाधिकरण ने स्पष्ट किया था कि इस अवधि में म.प्र. अपने हिस्से के जितने जल का उपयोग कर पाएगा उस पर उसका अधिकार बना रहेगा वरना यह अन्य राज्यों को आवंटित कर दिया जाएगा। शुरुआती वर्षों में सरकारों ने अपने हिस्से के नर्मदा जल के उपयोग के लिए बहुत ज्यादा गंभीरता से काम नहीं किया। वर्ष 2019 में इस मुद्दे पर फोकस तेज हुआ। 1979 से 2019 तक 40 वर्षों में म.प्र. केवल 13.14 एमएएफ पानी का उपयोग कर सका। लेकिन  सरकार यह साबित करने का प्रयास करेगी कि वह अपने हिस्से के 18.25 एमएएफ (मिलियन एकड़ फीट) नर्मदा जल का उपयोग कर रही है क्योंकि अगर सरकार ऐसा नहीं कर पाई तो म.प्र. के हिस्से का बचा पानी गुजरात को चला जाएगा। दरअसल नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण  ने वर्ष 1979 में नर्मदा जल समझौते के तहत चार राज्यों में पानी का बंटवारा किया था इसमें सबसे ज्यादा 18.25 एमएएफ (मिलियन एकड़ फीट) म.प्र. के हिस्से में आया। चारों राज्यों को कुल 28.0 एमएएफ पानी आवंटित किया गया था। गुजरात को 9.0, राजस्थान को 0.5 और महाराष्ट्र को 0.25 एमएएफ पानी के उपयोग का अधिकार मिला। नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण अब वापस बैठेगा। इसके बाद चारों राज्यों को आवंटित जल बंटवारे की स्थिति की समीक्षा की जाएगी। इस दौरान मप्र को न्यायाधिकरण के समक्ष साबित करना होगा कि वह अपने हिस्से के पूरे नर्मदा जल का उपयोग कर रहा है। अगर वह न्यायाधिकरण को यह समझाने में असमर्थ रहा कि वह अपने हिस्से के पानी का पूरा उपयोग नहीं कर रहा है तो पानी गुजरात चला जाएगा।

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