मार्क जुकरबर्ग ने व्हाट्सएप्प मैसेज की सुरक्षा का समाधान किया

मार्क जुकरबर्ग ने व्हाट्सएप्प मैसेज की सुरक्षा का समाधान किया

भोपाल [ महामीडिया] व्हाट्सएप्प जैसे प्लेटफॉर्म पर प्राइवेट मैसेज की सुरक्षा को लेकर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं। इसी पर हाल ही में मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने बात की और बताया कि व्हाट्स एप्प की एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन तकनीक कैसे काम करती है और इसका प्राइवेसी पर क्या असर है।जुकरबर्ग ने यह भी कहा कि एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का मतलब है कि मैसेज को प्लेटफॉर्म पर पढ़ा नहीं जा सकता लेकिन अगर फोन किसी के हाथ लग जाए तो मैसेज एक्सेस किए जा सकते हैं। मार्क जुकरबर्ग ने हाल ही में एक बयान में कहा कि किसी भी डिवाइस की सुरक्षा का अंतिम हिस्सा शारीरिक पहुंच होता है। उन्होंने समझाया कि अगर कोई आपकी डिवाइस तक पहुंच बना ले तो उसमें सेंध लगाना आसान हो जाता है। जुकरबर्ग ने उदाहरण देते हुए कहा “जब एफबीआई किसी को गिरफ्तार करती है, तो वे उसका फोन अपने कब्जे में ले लेते हैं और उसमें मौजूद डेटा तक पहुंच हासिल कर लेते हैं।”यह बयान उन्होंने डिजिटल सुरक्षा और डिवाइस की सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं पर दिया। जुकरबर्ग का मानना है कि डिवाइस की भौतिक सुरक्षा बेहद महत्वपूर्ण है। सीईओ ने कहा है कि "किसी भी डिवाइस की सुरक्षा में सबसे अहम भूमिका उसकी फिजिकल एक्सेस की होती है। उन्होंने बताया कि अगर कोई आपकी डिवाइस तक पहुंच बना लेता है तो उसमें आसानी से सेंध लगाई जा सकती है।" एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन यह सुनिश्चित करता है कि मेटा के सर्वर पर मैसेज का कंटेंट नहीं देखा जा सकता हालांकि यह सुरक्षा केवल मैसेज ट्रांजिट (यानी भेजने और प्राप्त करने) के दौरान होती है डिवाइस पर स्टोर मैसेज इस एन्क्रिप्शन के दायरे में नहीं आते।

सम्बंधित ख़बरें