भोपाल [ महामीडिया ] म.प्र. के नौ जिलों में निराश्रित गोवंशीय पशुओं की बेहतर देखभाल के लिए गो-अभयारण्य बनाए जाएंगे। इसके संचालन की जिम्मेवारी किसी गैर सरकारी संगठन को दी जाएगी। संगठन आय बढ़ाने के लिए वहां कुछ दुधारू गायों को भी रख सकेगा। राज्य सरकार इस वर्ष को गोरक्षा वर्ष के रूप में मना रही है। इसी कड़ी में यह निर्णय लिया गया है। अभयारण्य निर्माण की योजना की मंजूरी के लिए शीघ्र कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा। अभयारण्य ऐसी जगह बनाए जाएंगे, जहां गोवंशीय पशुओं को दिन में चरने के लिए छोड़ा जा सके। मध्य प्रदेश में लगभग 10 लाख निराश्रित गोवंशीय पशु हैं, जिसमें तीन लाख गोशालाओं में और बाकी खुले में है। निराश्रित होने के कारण गोवंशीय पशु राजमार्गों में दुर्घटनाओं का शिकार होते रहते हैं। अभयारण्यों में क्षमतानुसार पांच से 25 हजार तक गोवंशीय पशु रखे जा सकेंगे। टीकमगढ़ में चरपुंवा, मंदसौर में मोरखेड़ा, पन्ना में शिकारपुरा, अशोकनगर में नडेर, रायसेन में चिखलोद कला, खरगोन में ओखला, सतना में पड़मनिया जागीर, जबलपुर में देहरीकलां या देहरीखुर्द और सागर के देवल में गो-अभयारण्य बनाए जाएंगे।