भूमाफियाओं पर नकेल कस रहा है म.प्र. का सॉफ्टवेयर

भूमाफियाओं पर नकेल कस रहा है म.प्र. का सॉफ्टवेयर

भोपाल [महामीडिया] संपदा-2.0 सॉफ्टवेयर अवैध कॉलोनाइजरों के लिए तकनीकी स्ट्राइक साबित हो रहा है। एक तरफ जहां प्रशासन ने अवैध कॉलोनियों में खरीदी गई संपत्ति की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी है वहीं भूमाफिया पंजीयन कार्यालय में रजिस्ट्री के लिए आवेदन तो कर रहे हैं लेकिन तमाम कमियों के चलते हो नहीं पा रही हैं। संपदा-2.0 सॉफ्टवेयर में खसरा नंबर दर्ज करते ही प्रापर्टी की पूरी जानकारी ऑनलाइन दिखने लगती है। इससे पता चल जाता है कि यह प्रापर्टी किसकी है कहां है और किसके द्वारा बेची गई है। साथ ही उसके बेचने वाले कॉलोनाइजर ने अनुमतियां ली हैं या अवैध रूप से प्रापर्टी बेची गई है इसका भी पता चल जाता है। यही कारण है कि अवैध कॉलोनियों में होने वाली भूखंडों की रजिस्ट्री नहीं हो पाती है। मध्यप्रदेश के सभी 55 जिलों में अप्रैल 2025 से संपदा-2.0 सॉफ्टवेयर लागू किया जा चुका है। इसके तहत सिर्फ ऑनलाइन ही प्रापर्टी की रजिस्ट्री की जा सकती है। इसमें रजिस्ट्री के लिए सभी तरह के पात्र दस्तावेज होना जरूरी है। यदि एक भी दस्तावेज कम होता है तो रजिस्ट्री प्रक्रिया पूरी तरह से रुक जाती है। बता दें, संपदा-2.0 साफ्टवेयर में रजिस्ट्री के लिए दस्तावेजों का प्रारूप तय है। इसमें खरीदी जा रही प्रापर्टी की जानकारी भरकर रजिस्ट्री की प्रति तैयार की जाती है।

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