अमरकंटक दुर्लभ जड़ीबूटिओं और वनस्पतियों का खजाना 

अमरकंटक दुर्लभ जड़ीबूटिओं और वनस्पतियों का खजाना 

भोपाल [ महामीडिया] अमरकंटक नर्मदा महोत्सव के तीन दिवसीय आयोजन में अमरकंटक क्षेत्र को विशिष्ट पर्यटन नगरी के रूप में स्थापित करने के लिए प्राकृतिक वातावरण से जुड़ी गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। मां नर्मदा का पवित्र उद्गम स्थल होने से यह क्षेत्र धार्मिक नगर के रूप में तो ख्याति प्राप्त है ही यहां का वातावरण एवं वनस्पतियां भी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए अहम हैं। महोत्सव में क्षेत्र की इन विशेषताओं से आम जनों को रू-ब-रू कराने हेतु सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ योगाभ्यास एवं ट्रेकिंग की गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं।प्रतिदिन सुबह नर्मदा नदी के तट पर मैकल पार्क में योगाभ्यास तो वहीं अमरकंटक की वादियों में चार रूटों पर प्रतिदिन प्रातः 8 से 10 बजे तक ट्रेकिंग गतिविधि का आयोजन किया जा रहा है। वन विभाग द्वारा शम्भुधारा से पंचधारा, पंचधारा से कपिलधारा, कबीर चबूतरा से धोनीपानी एवं धोनीपानी से सोनमूड़ा इन चार रूट में प्रतिदिन ट्रेकिंग गतिविधि का आयोजन किया जा रहा है। इस ट्रैकिंग में अमरकंटक आने वाले पर्यटक मुख्य रूप से शामिल हो रहे हैं और यहां के प्राकृतिक वातावरण का दीदार कर रहे हैं अमरकंटक के वन क्षेत्र में कई वनस्पतियां औषधियां तथा मनोरम सरोवर है जो प्रकृति के सौंदर्य को करीब से महसूस कर रहे हैं।महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ट्रेकिंग गतिविधि विशेष रूप से युवाओं को आकर्षित कर रही है, वहीं योगाभ्यास में युवाओं के साथ नागरिक भी शामिल होकर स्वास्थ्य लाभ ले सकते हैं। अकेले अचानकमार में 300 से अधिक प्रकार की दुर्लभ जड़ी, बूटियां पाई जाती हैं। वैज्ञानिक खोजों के दौरान कुकुरमुत्ते की सर्वाधिक प्रजातियां यहीं पाईं गईं। रोग नाशक औषधियों और वनस्पतियों में दहीमन, जटाशंकरी, कालमेघ, तेजराज, मलकानगिरी, हर्रा, मैडा, भृंगराज, जंगली प्याज, सफेद मूसली आदि प्रमुख हैं। अमरकंटक के जंगल दुर्लभ वनस्पतियों, जड़ी-बूटियों और वन्य प्राणियों के लिए मशहूर रहे हैं।  'गुलबकावली' के फूल कभी यहां अटे पड़े थे, अब यह दुर्लभ जड़ी-बूटी मुश्किल से मिलती है। इस फूल का अर्क आंखों की कई बीमारियों का अचूक नुस्खा है। इसके अलावा भी आयुर्वेद का बेशकीमती खजाना खनन ने लूट लिया है। अतः इन नदियों से जुड़े लोगों के लिए अमरकंटक के वैभव को सहेज कर रखना अत्यावश्यक है। बल्कि यहां के घने (अब विलुप्तप्राय) जंगलों, उनमें मौजूद ब्राह्मी, तेजराज, भोगराज,सर्पगंधा, बलराज जैसी दुर्लभ व बेशकीमती जड़ी बूटियों व बाक्साइट जैसे खनिजों में भी बहुतों का ध्यान इस ओर खींचा है। इसी का नतीजा है कि आज न केवल यहां के जंगल और जड़ी बूटियां खात्में की ओर हैं बल्कि समूचे अमरकंटक के पर्यावरण व पारिस्थितिकीय के संदर्भमें इसका अस्तित्व ही संकट में पड़ गया है। अमरकंटक के जंगलों मे  करीब 635 प्रजातियों के वनस्पति है अचानकमार अमरकंटक बायोस्फेयर रिजर्व से जुड़े जानकारों की माने तो इसके अंतर्गत अनेक दुर्लभ औषधीय वनस्पतियां पाई जाती है। इनमे दहीमन, जटाशंकर आदि शामिल हैं। वहीं कई ऐसी जड़ी बूटियां भी है जो कि सिर्फ यहीं पर पाई जाती है। बताया जा रहा है कि यहां लगभग 28 प्रकार की दुर्लभ वन औषधियां पाई जाती है। जिसमें कालमेघ, वन हल्दी, वन प्याज, गुलबकाबली सहित अन्य शामिल हैं।

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