सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता का पर्व गणेशोत्सव

सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता का पर्व गणेशोत्सव

भोपाल [महामीडिया] कहा जाता है कि शिवाजी की माता जीजाबाई ने पुणे के क़स्बा गणपति में गणेश जी की स्थापना की थी और पेशवाओं ने गणेशोत्सव को बहुत अधिक बढ़ावा दिया। मूलतः गणेशोत्सव पारिवारिक त्यौहार था किन्तु बाद के दिनों में बाल गंगाधर तिलकने इस त्यौहार को सामाजिक स्वरूप दे दिया । गणेशोत्सव 10 दिन का पर्व है। जिसमें गौरी पुत्र गणेश जी की प्रतिमा को घर के मंदिर और पंडाल में स्थापित करते हैं। जिसके बाद उनकी दस दिन तक पूजा-अर्चना की जाती है और दसवें दिन उनका विसर्जन किया जाता है। गणेश चतुर्थी पर बप्पा आपके घर, शहर, देश में वापस आ रहे हैं तो उनका स्वागत भी शानदार तरीके से होना चाहिए। ऐसे में उनकी पूजा के लिए तरह-तरह की सामग्रियों की जरूरत होती है। गणाधिपति गणेश को गणों का ईश अर्थात गणों के भगवान के रूप में पूजा जाता है। वे प्रथम पूज्य देव हैं। हिंदू धर्म में कोई भी मांगलिक कार्य भगवान गणेश की पूजा से ही शुरू होता है। देश में हर साल भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष चतुर्थी को गणेश चतुर्थी महापर्व मनाया जाता है। इस साल 2025 में गणेश चतुर्थी 27 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी। चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक भगवान गणेश की विशेष पूजा और आराधना की जाती है। देश में दस दिन तक गणेश उत्सव मनाया जाता है। मप्र, गुजरात, महाराष्ट्र और खासकर मुंबई में गणेश उत्सव की विशेष धूम रहती है। गणेश पुराण के अनुसार भाद्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेशजी का जन्म हुआ था। देश में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लोगों में एकजुटता पैदा करने के उद्देश्य से लोकमान्य तिलक ने देश में गणेशोत्सव की शुरुआत की। इसके बाद से शुरु हुए इस पर्व पर घर-घर दस दिनों तक गणेशजी की स्थापना होने लगी। हिंदू धर्म कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद महीने की शुल्क चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। शिव पुराण के चतुर्थ खंड में बताया गया है कि माता पार्वती ने अपने अंग रक्षक के तौर पर भगवान गणेश को अपने शरीर पर लगे उबटन के लेप से तैयार किया और फिर उनमें प्राण फूंके तभी से भाद्रपद माह की चतुर्थी को भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

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