भगवान शिव के लिए औषधि है भांग-धतूरा 

भगवान शिव के लिए औषधि है भांग-धतूरा 

भोपाल (महामीडिया)  भगवान शिव वैरागी है और इसीलिए वह वनोषधियों के अनुरागी भी है। भोलेनाथ को वनों में उगने वाली सहज-सुलभ औषधियों का भोग लगाया जाता है या उनको इन वन्य संपदाओं को समर्पित किया जाता है। शिव अपने भक्त की इस भक्ति से प्रसन्न होते हैं और उसको मनचाहा वरदान प्रदान करते हैं। महादेव को बिल्वपत्र, भांग, धतूरा, आंकड़ा जैसी वन संपदाओं से लगाव है इसलिए उनको भोले भंडारी कहा जाता है और इन वस्तुओं का उनको भोग लगाया जाता है।
महादेव को गर्म और ठंडी दोनों तासीर की वस्तुओं का भोग लगाया जाता है। महादेव कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं, जो काफी ठंडा है और चारों तरफ से बर्फ से ढंका रहता है, इसलिए उनको गर्म वस्तुओं का भोग लगाया जाता है। शिव को भांग और धतूरे का भोग क्यों लगाया जाता है इसका वर्णन देवी भागवत पुराण में बतलाया गया है। इसके अनुसार अमृत मंथन से निकले विष को पीने से महादेव की व्याकुलता बढ़ने लगी और उनके शरीर में असहनीय जलन हुए। उस समय अश्विनी कुमारों ने भांग, धतूरा, बेल आदि औषधियों से शिव जी की व्याकुलता और गर्मी को दूर किया। उस समय से ही शिव जी को भांग और धतूरा बहुत प्रिय है। जो भी भक्त शिवजी को भांग धतूरा अर्पित करता है, महादेव उसकी मनोकामना पूर्ण करते हैं।
भोलेनाथ को भांग औऱ धतूरे के साथ जोड़ने एक प्रमुख कारण है कि महादेव सांसरिक मोह-माया, एश्वर्य और आराम आदि से विरक्त रहते हैं। उनका आवास बर्फ से ढंका कैलाश पर्वत है। वस्त्र के रूप में वह मृगछाल पहनते हैं गले में सर्पों की माला धारण करते हैं और शरीर पर भस्म रमाते हैं। इसलिए उनका भोजन भी सबसे अलग है और ऐसे पदार्थों का सेवन करते हैं जो विषैली प्रकृति के हैं। उनकी जीवनशैली वैराग्य के साथ संयम, हर परिस्थिति को एकाकार करने और परिस्थिति के अनुरूप खुद को ढालने की शिक्षा देती है।
 

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