15 जनवरी को मनाई जाएगी मकर संक्रांति
नई दिल्ली (महामीडिया) सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने और मलमास के समाप्त होने का दिन होता है मकर संक्रांति। इस दिन से देवताओं का छह माह का दिन प्रारंभ होता है इसलिए यह दिन हिंदू धर्मावलंबियों के लिए बड़ा महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। इसी दिन से गंगासागर यात्रा भी शुरू होती है।
इस साल सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी मंगलवार की मध्यरात्रि के बाद 2 बजकर 07 मिनट पर प्रवेश कर रहा है। इसलिए संक्रांति का पर्व काल अगले दिन यानी 15 जनवरी बुधवार को मनाना शास्त्र सम्मत रहेगा। 15 जनवरी को पर्वकाल सूर्योदय से सूर्यास्त तक रहेगा। इसलिए पवित्र नदियों में स्नान, दान कर्म आदि 15 जनवरी को ही किए जाएंगे।
मकर संक्रांति मकर संक्रांति पर सूर्योदय से पूर्व उठकर पवित्र नदियों में स्नान करें। सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा करें। यदि पवित्र नदी ना हो तो नहाने के पानी में पवित्र नदियों का जल और थोड़े से तिल डालकर स्नान करें। अब अपने घर में देवी-देवताओं का विधिवत पूजन करके दान का संकल्प लेकर गरीबों को भोजन, वस्त्र, अन्न, कंबल, मूंगदाल-चावल की खिचड़ी और गुड़-तिल का दान करें। गायों को चारा खिलाएं। आज के दिन दान का बड़ा महत्व होता है इसलिए यथाशक्ति दान करने में किसी तरह का संकोच या कमी ना रखें।
तिल का महत्व
शास्त्रीय मान्यता है कि मकर संक्रांति से दिन की अवधि तिल के बराबर बढ़ती जाती है। तिल दीर्घायु और आरोग्य का प्रतीक होता है इसलिए मकर संक्रांति पर तिल का प्रयोग छह प्रकार से किया जाता है। इस दिन तिल का उबटन लगाया जाता है। तिल मिले जल से स्नान किया जाता है। तिल का हवन किया जाता है। तिल खाया जाता है। तिल मिश्रित जल का सेवन किया जाता है और तिल का दान किया जाता है। इससे वर्षभर आरोग्यता बनी रहती है।