करवा चौथ त्यौहार 4 नवंबर को

करवा चौथ त्यौहार 4 नवंबर को

नई दिल्ली (महामीडिया) करवा चौथा का पवित्र पर्व 4 नवंबर को पड़ रहा है। करवा चौथ सुहागिनों का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। करवा चौथ करवा चतुर्थी देश के अनेक हिस्सों में समान रूप से पूजी जाती है। भारत में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार, गुजरात और उत्तरप्रदेश में भी करवा चौथ का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
पंजाब में करवा चौथ बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। करवा चौथ के दिन पंजाब में सभी सुहागिनें सुबह 4 बजे उठकर सरगी करती हैं। यहां सरगी सास द्वारा बहू को दी जाती है। इस सरगी में आमतौर पर सूखे मेवे और मिठाइयां होती हैं। करवा चौथ का व्रत सूर्योदय के साथ शुरू होता है। इसीलिए सूर्य उदय होने से पहले पंजाबी महिलाएं सरगी कर लेती हैं। इसके बाद दिन भर समूह में पूजा होती है। महिलाएं घेरा बनाती हैं, कोई एक बुजुर्ग महिला या पंडिताइन कथा कहती है। इस दौरान महिलाएं आपस में थाली बदलती हैं। शाम को चांद को अर्घ्य देकर, छलनी से चंद्रमा और फिर पति के दर्शन कर उनके हाथों से पानी पीकर और मिठाई खाकर व्रत खोला जाता है। पूजा के बाद सास या किसी समकक्ष महिला को पूजन सामग्री भेंट की जाती है।
राजस्थान में करवा चौथ की पूजा में मिट्टी के करवे का विशेष महत्व होता है। करवा मिट्टी का एक कलश होता है। इस करवे के अंदर शक्कर भरी जाती है और ऊपर एक दीया रखा जाता है। दीये में हरे मूंग रखकर उस पर भेंट के लिए रुपए रखे जाते हैं। लोटे के गले में कलावा या अनंत बांधा जाता है। दिन भर व्रत रखने के दौरान चौथ माता और गणपति जी की तीन बार पूजा की जाती है। इस दौरान चौथ माता की कथा सुनी जाती है। रात में चांद को अर्घ्य दिया जाता है और लड्डू का भोग लगाया जाता है। पूजा का समापन सास को भेंट देकर और उनसे आशीर्वाद लेकर किया जाता है।
उत्तरप्रदेश में करवा चौथ पूजन में माता गौरी की पूजा का विशेष महत्व है। इसके साथ ही इस दिन उत्तरप्रदेश में महिलाएं घर को दीयों से सजाती हैं। यहां भी महिलाएं पूजा के लिए मिट्टी का करवा लेती हैं। इस करवे में अलग-अलग क्षेत्रों के रिवाज़ के अनुसार गेहूं या चावल भरे जाते हैं। यहां दिन में गणपति और गौरी मां के पूजन के बाद रात में चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद सास से आशीर्वाद लेकर, करवा भेंट करने के बाद व्रत खोला जाता है।
मध्यप्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ में करवा चतुर्थी की पूजा की विधि लगभग उत्तरप्रदेश के समान है। इसी तरह पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में मिलते-जुलते तरीकों से पूजा की जाती है। पूजा विधि में अंतर होने के बाद भी पूरे भारत में पूजन का उद्देश्य और मुख्य विधि एक समान है- पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य, संपत्ति, दांपत्य जीवन में प्रेम, सौभाग्य और परिवार की सुख शांति के लिए भारतीय महिलाएं निर्जला, निराहार रहकर करवा माता का पूजन करती हैं।

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