भगवान गणेश की पूजा में 'अक्षत' का महत्व 

भगवान गणेश की पूजा में 'अक्षत' का महत्व 

भोपाल (महामीडिया) गजानन गणपति को समर्पित 10 दिनों तक चलने वाला महापर्व गणेश महोत्सव आने ही वाला है। 10 सितंबर शुक्रवार से इस महोत्सव का शुभारंभ होगा और ये 19 सितंबर रविवार को अनंत चौदस तक चलेगा। हर साल गणेश उत्सव को देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान उनकी खूब सेवा की जाती है। पूजा अर्चना की जाती है और पसंदीदा भोग अर्पित किए जाते हैं। गणपति की पूजा में अक्षत का विशेष महत्व होता है। जिस समय गजानन को घर पर लाया जाता है, तब विशेष पूजा का आयोजन होता है। इस दौरान गणपति का स्वागत हल्दी और कुमकुम के साथ मिले अक्षत के साथ किया जाता है। 
इसलिए होता है अक्षत का उपयोग
गणपति को शुभकर्ता माना जाता है और अक्षत को खुशी और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि गणपति के आगमन के दौरान यदि उन पर अक्षत यानी चावल अर्पित किए जाएं तो इससे घर की तमाम बाधाएं दूर हो जाती हैं और शुभता के साथ समृद्धि भी घर में आती है। इसके अलावा ये भी मान्यता है कि अक्षत चढ़ाने से गणपति के साथ सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सकारात्मकता आती है। चूंकि अक्षत को सादा नहीं चढ़ाना चाहिए, इसलिए उसे हल्दी या कुमकुम में मिक्स कर दिया जाता है। साथ ही मिक्स करते समय ये ध्यान रखें कि चावल टूटे नहीं। पूजा में हमेशा साबुत अक्षत का ही उपयोग करना चाहिए।
दोपहर में पूजन का समय इसलिए है श्रेष्ठ
गणेश चतुर्थी के दिन को गणपति के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि गणपति का जन्म भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को दोपहर के समय हुआ था। आमतौर पर मंदिरों में 12 बजे के बाद पूजा अर्चना नहीं होती, लेकिन गणेश चतुर्थी के दिन गणपति के पूजन के लिए दोपहर का समय श्रेष्ठ माना जाता है। 
 

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