तीज-त्यौहारः रामनवमी है आज
भोपाल (महामीडिया) चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रामनवमी का पर्व मनाया जाता है। सनातन धर्म में इस तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन रामनवमी होने के साथ चैत्र नवरात्रि का समापन होता है। आज रामनवमी है। भगवान राम श्री हरि विष्णु का सातवां अवतार थे। विष्णु जी ने अधर्म के नाश और धर्म की स्थापना के लिए राजा दशरथ के यहां पुत्र रूप में जन्म लिया था। जिस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था, उस दिन चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि थी। यह दिन प्रभु श्री राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भगवान राम ने अपने पूरे जीवन काल में धर्म का पालन किया और संपूर्ण जीवन मानव कल्याण के लिए समर्पित कर दिया, इसलिए इन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है। रामनवमी पर लोग हर्षोल्लास के साथ भगवान राम का जन्मोत्सव मनाते हैं और विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं। इस दिन विधिपूर्वक राम जी की पूजा अर्चना करने से संकटों से मुक्ति मिलती है और भगवान राम का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
रामनवमी का महत्व
इस दिन भगवान राम का जन्म दोपहर के समय अभिजीत नक्षत्र में हुआ था। जिस समय भगवान राम का जन्म हुआ तब पांच ग्रह एक साथ उच्च स्थिति में थे। इसी दिन रामनवमी पर ही गोस्वामी तुलसीदास ने अयोध्या में रामचरितमानस की रचना आरंभ की थी। कुछ ज्योतिष विद्वानों के अनुसार रामनवमी पर कोई भी मांगलिक कार्य कार्य बिना मुहूर्त सोचे-विचारे किया जा सकता है। यह तिथि अत्यंत मंगलकारी और शुभ मानी जाती है। इस दिन व्रत और पूजन करने से जीवन में सुख समृद्धि और शांति का वास होता है।
रामनवमी पूजा का शुभ मुहूर्त-
राम जन्मोत्सव का शुभ मुहूर्त – दिन में 11:06 बजे से दोपहर 01:39 बजे तक
राम नवमी के दिन सुकर्मा योग – दोपहर 12:04 मिनट तक है,
राम नवमी के दिन पुष्य नक्षत्र – पूर्ण रात्रि तक है.
राम नवमी के दिन विजय मुहूर्त – दोपहर 02:30 बजे – दोपहर 03:21 बजे तक
राम नवमी के दिन अमृत काल – रात 11:50 बजे से – रात 01:35 बजे तक
राम नवमी के दिन राहुकाल – शाम 05 बजकर 09 मिनट – शाम 06 बजकर 44 मिनट तक
इस तरह करें राम नवमी की पूजा
- रामनवमी पर प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद पीले रंग के स्वच्छ वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प करें।
- अब एक लकड़ी की चौकी लें और उसके ऊपर लाल रंग का स्वच्छ कपड़ा बिछाएं।
- यदि आपके पास राम सीता और लक्ष्मण सहित प्रतिमाएं हैं तो और भी शुभ है। चौकी पर राम दरबार या राम जी की प्रतिमा स्थापित करें।
- अब गंगाजल छिड़कें, तिलक करें और चावलों से अष्टदल बनाएं।
- अब अष्टदल के ऊपर तांबे का कलश रखकर उसपर चौमुखी दीपक जलाएं।
- धूप दिखाएं और पुष्प अर्पित करें। भगवान राम की पूजा में कमल का फूल और तुलसी का प्रयोग अवश्य करें।
- अब वहीं आसन पर बैठकर विष्णु सहस्त्रनाम या राम स्तोत्र का पाठ करें।
- पाठ पूर्ण होने पर खीर, फल और मिष्ठान आदि का भोग लगाएं और रामलला की आरती करें।
- इसके बाद भजन कीर्तन करते हुए दिन व्यतीत करें। शाम के समय घी का दीपक जलाएं और राम कथा सुनें।