तीज-त्यौहारः आज आमलकी एकादशी है
भोपाल (महामीडिया) आज आमलकी एकादशी है। एकादशी व्रत शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखते हैं। आमलकी एकादशी 13 मार्च को सुबह 10:21 बजे से शुरू हो चुकी है, यह आज दोपहर 12:05 बजे तक मान्य है। आमलकी एकादशी व्रत वाले दिन सुबह छह बजकर 32 मिनट पर सर्वार्थ सिद्धि योग शुरू हो चुका है। यह रात 10 बजकर 08 मिनट तक है। इस योग में पूजा और व्रत करने से कार्य सफल होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस मुहूर्त में आप आमलकी एकादशी की पूजा कर सकते हैं।
आमलकी एकादशी व्रत एवं पूजा विधि
आज प्रात: स्नान आदि से निवृत होकर साफ कपड़े पहन लें। उसके बाद एक आंवले के पेड़ के नीचे साफ-सफाई करके पूजा का स्थान बनाएं। आंवले के पेड़ के नीचे चौकी की स्थापना करें। उस पर भगवान परशुराम की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। आप चाहें तो भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को भी स्थापित कर सकते हैं। भगवान परशुराम श्रीहरि विष्णु के ही अवतार हैं। अब आप हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर आमलकी एकादशी व्रत एवं पूजा का संकल्प करें। इसके बाद भगवान विष्णु को पंचामृत स्नान कराएं। उनको वस्त्र, पीले फूल, फल, केला, तुलसी का पत्ता, अक्षत, धूप, दीप, गंध, चंदन, हल्दी, पान का पत्ती, सुपारी, आंवला आदि ओम भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का उच्चारण करें। दिन में फलाहार करें और भगवत भजन करें। शाम को विष्णु आरती करें। रात्रि जागरण में समय व्यतीत करें। फिर अगले दिन प्रात: स्नान के बाद पूजा करें और सूर्योदय के बाद पारण करके व्रत को पूरा करें। आंवला का पेड़ दिव्य पेड़ है, इसे भगवान विष्णु ने उत्पन्न किया था. आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर पूजा करने से पुण्य प्राप्त होता है. आमलकी एकादशी व्रत करने से स्वर्ग प्राप्त होता है और मोक्ष भी मिलता है।
आमलकी यानी आंवला को शास्त्रों में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। विष्णु जी ने जब सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा को जन्म दिया उसी समय उन्होंने आंवले के वृक्ष को जन्म दिया। आंवले को भगवान विष्णु ने आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया है। इसके हर अंग में ईश्वर का स्थान माना गया है।