तीज-त्यौहारः आज जया एकादशी है

तीज-त्यौहारः आज जया एकादशी है

भोपाल (महामीडिया) हिन्दू धर्म में हर एक व्रत का एक विशेष महत्व होता है, इसी सूची में शामिल है एकादशी का व्रत. हिंदू  कैलेंडर के अनुसार, माघ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी का व्रत भक्तों के द्वारा रखा जाता है. आज जया एकादशी है. जया एकादशी का व्रत करने से कष्टों का नाश होता है. इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है और भगवान विष्णु की कृपा से व्रत करने वालों को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है, कष्टों से मुक्ति मिलती है, अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति प्राप्त होती है. 
जया एकादशी की पूजा का मुहूर्त
माघ शुक्ल एकादशी तिथि 11 फरवरी को दोपहर 01:52 बजे से शुरु हो चुकी है, जो कि 12 फरवरी को शाम 04:27 बजे तक रहने वाली है. ऐसे में जया एकादशी का व्रत आज रखा जाएगा. इस दिन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:13 से दोपहर 12:58 बजे तक है.
जया एकादशी व्रत एवं पूजा विधि

  • जया एकादशी का व्रत पूरा करने के लिए मन, वचन और कर्म से शुद्धता को अपनाएं.
  • एकादशी के व्रत वाले दिन सुबह स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनने चाहिए. फिर हाथ में फूल, अक्षत् और जल लेकर जया एकादशी व्रत एवं भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प पूरी श्रद्धा के साथ करना चाहिए.
  • आपके पास जो भी भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर हो उसको एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर स्थापति कर दें. इसके बाद गंगाजल से अभिषेक करें और फिर उनको पीले पुष्प, धूप, अक्षत्, सफेद चंदन, हल्दी, दीप, गंध, तुलसी का पत्ता, केला, फल, पान का पत्ता, सुपारी, पंचामृत आदि अर्पित करें.
  • इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु को केला, गुड़, चने की दाल, बेसन के लड्डू, फल आदि का भोग लगाएं. ये सब करने के बाद प्रभु को खुश करने के लिए विष्णु सहस्रनाम, नारायण स्तोत्र का पाठ करें और फिर जया एकादशी व्रत कथा का पाठ या फिर श्रवण करें.
  • पूजा के सबसे अंत में भगवान विष्णु की घी के दीपक आदि से पूरे विधिपूर्वक आरती जरूर  करें.  इसके बाद भगवान विष्णु से अपनी मनोकामना पूरी करने की मन्नत मांगे.
  • पूजा के बाद इस दिन जरूरतमंद ब्राह्मणों एवं गरीबों को दान करें. दिनभर फलाहार करते हुए भगवत जागरण करें. इस दिन केला, चावल, बैंगन आदि का सेवन न करें.
  • व्रत करने के दूसरे सुबह स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और फिर इस व्रत का पारण करें. हालांकि इस बात ध्यान रखें कि द्वादशी तिथि के समापन से पूर्व पारण कर लें.
     

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