तीज-त्यौहारः आज मोक्षदा एकादशी है

तीज-त्यौहारः आज मोक्षदा एकादशी है

भोपाल (महामीडिया) हिंदू धर्म शास्त्रों में वैसे तो सभी एकादशी व्रत को काफी महत्व दिया गया है, लेकिन मोक्षदा एकादशी के लिए कहा जाता है कि इस व्रत को रखने मात्र से सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त हो जाता है. मोक्षदा एकादशी आज है. माना जाता है कि यदि आप इस व्रत को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ रहें और इसके पुण्य को अपने पितरों को समर्पि​त कर दें तो इससे आपके पितरों का उद्धार हो जाता है.
पितरों को नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है और जब वे मोक्ष की ओर अग्रसर होते हैं तो अपने वंशजों को आशीर्वाद देकर जाते हैं. जिससे उनके वंशजों का जीवन सुखमय बनता है. लेकिन व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए इसे पूरी निष्ठा के साथ रखना जरूरी है, साथ ही एकादशी व्रत के सभी नियमों का भी पालन करना चाहिए. तभी ये व्रत सार्थक हो सकता है.
ये हैं एकादशी व्रत के नियम
– एकादशी व्रत के नियम दशमी को सूर्यास्त के बाद से ही लागू हो जाते हैं. व्यक्ति को भोजन दशमी को सूर्यास्त से पहले ही ग्रहण करना होता है, इसके बाद व्रत शुरू होता है और द्वादशी के दिन पारण करने तक चलता है. इस तरह से ये व्रत पूरे तीन​ दिनों तक चलता है.
शुभ मुहूर्त
एकदशी तिथि : 13 दिसंबर, रात्रि 9:32 मिनट से शुरू हो चुकी है 
एकदशी तिथि समाप्त: 14 दिसंबर रात्रि 11:35 मिनट पर
व्रत के पारण का समय: 15 दिसंबर सुबह 07:05 बजे से सुबह 09:09 बजे तक
ये है एकादशी पूजन विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके पूजा के स्थान को साफ करके लक्ष्मी नारायण की प्रतिमा रखें और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान को धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें. मोक्षदा एकादशी व्रत की कथा को पढ़ें या सुनें. घर में भगवद् गीता हो तो इसके सातवें अध्याय का पाठ करें. पूजा के बाद भगवान से गलती की क्षमायाचना करें. दिनभर व्रत रखें. संभव हो तो व्रत निर्जल रखें, न रख सकें तो फलाहार ले सकते हैं. रात में जागरण करके कीर्तन करें. दूसरे दिन स्नान के बाद किसी ब्राह्मण को भोजन खिलाकर व दक्षिणा देकर पैर छूकर आशीर्वाद लें और अपना व्रत खोलें.
 

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