
श्रीमद्भागवत गीता का एक अचूक मंत्र
भोपाल [ महामीडिया] सनातन धर्म में धार्मिक ग्रंथों का विशेष महत्व बताया गया है। किसी भी धर्म ग्रंथ को पढ़ने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। श्रीमद्भगवद्गीता का प्रतिदिन घर में पाठ करने से सुख-समृद्धि आती है। सभी प्रकार की समस्याओं का हल करने की शक्ति मिलती है। आत्मविश्वास बढ़ता है। लेकिन आज कल व्यस्त जिंदगी में किसी के पास इतना समय नहीं होता है कि वह भागवत पढ़ सकें। ऐसी स्थिति में रोजाना सिर्फ एक मंत्र का जाप करने से भी आपको संपूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ने का फल मिल सकता है। आइए जानें इस एक मंत्र के बारे में।
श्लोकरूपी भागवत मंत्र
आदौ देवकी देव गर्भजननं, गोपी गृहे वद्र्धनम्।
माया पूज निकासु ताप हरणं गौवद्र्धनोधरणम्।।
कंसच्छेदनं कौरवादिहननं, कुंतीसुपाजालनम्।
एतद् श्रीमद्भागवतम् पुराण कथितं श्रीकृष्ण लीलामृतम्।।
अच्युतं केशवं रामनारायणं कृष्ण:दामोदरं वासुदेवं हरे।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं जानकी नायकं रामचन्द्रं भजे।।
मंत्र का यह है अर्थ
श्रीमद्भगवद्गीता के इस मंत्र का अर्थ है कि भगवान श्रीकृष्ण ने देवकी के गर्भ में जन्म लिया, गोपी-ग्वालों के साथ बड़े हुए, पूतना का संहार किया, गोवर्धन पर्वत को धारण किया, कंस का वध किया, कुंती पुत्र यानी पांडवों की रक्षा की, कौरवों का नाश किया इस प्रकार कृष्ण ने संसार में अपनी लीलाएं रची।
एक श्लोकी मंत्र का जाप करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार अगर विधिपूर्वक इस मंत्र का जाप किया जाए, तो व्यक्ति को जीवन में वे सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त होती है, जिसका वे हकदार है। इतना ही नहीं, व्यक्ति को पापों से मुक्ति दिलाने में भी ये मंत्र बहुत शुभ फलदायी माना गया है। प्रतिदिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें। इसके बाद इस मंत्र के जाप के लिए तुलसी की माला का प्रयोग करें। हर दिन पांच माला जाप फलदायी बताया गया है।